'2 बालिग लड़कियां अपनी मर्जी से साथ रहना चाहती हैं, तो अदालत भी उन्हें रोक नहीं सकती', HC ने सुनाया फैसला

'2 बालिग लड़कियां अपनी मर्जी से साथ रहना चाहती हैं, तो अदालत भी उन्हें रोक नहीं सकती', HC ने सुनाया फैसला
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भोपाल: मध्य प्रदेश के जबलपुर से प्यार का एक अनोखा मामला सामने आया है यहाँ खमरिया क्षेत्र में रहने वाली 18 वर्षीय एक लड़की की दोस्ती 22 वर्षीय लड़की से हो गई। दोनों बचपन से ही साथ में रहती थीं, साथ पढ़ीं और बड़ी हुईं। दोनों एक-दूसरे के सुख-दुख की साथी बन गईं। वक़्त के साथ भावनात्मक तौर पर दोनों में इतना लगाव हो गया कि अब अलग रहने को तैयार नहीं हैं। 

वर्तमान में एक लड़की की आयु 18 वर्ष और दूसरी की 22 वर्ष है। जब परिवार को दोनों के रिश्ते के बारे में पता चला, तो दोनों घर से भाग गईं। 18 वर्षीय लड़की के पिता ने बेटी की कस्टडी के लिए 14 अक्टूबर को उच्च न्यायालय का रुख किया। बेटी की कस्टडी पाने के लिए अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका लगाई थी। 

वही पिता ने अदालत को बताया कि बेटी को महिला मित्र की जगह घर पर रहने के लिए मनाने का प्रयास किया, मगर वह नहीं मानी। बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका पर उच्च न्यायालय ने मंजूर कर लड़की को हाजिर होने का नोटिस जारी किया। तत्पश्चात, लड़की उच्च न्यायालय के सामने हाजिर हुई। उच्च न्यायालय ने लड़की को फैसला लेने के लिए 1 घंटे का वक़्त दिया। लेकिन उसके बाद भी लड़की ने अपनी दोस्त के साथ ही रहने की ही अपील की। लिहाजा, अदालत के आदेश पर दोनों को साथ जाने दिया गया। हाई कोर्ट ने फैसला सुनते हुए कहा, दो बालिग लड़कियां यदि अपनी मर्जी से साथ रहना चाहती हैं, तो अदालत भी उन्हें रोक नहीं सकती। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय चीफ जस्टिस रवि मलिमथ एवं जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यहा फैसला सुनाया। 

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