'अगर आज 26/11 जैसा आतंकी हमला होता है तो..', विदेश मंत्री जयशंकर ने खोले कई राज़

'अगर आज 26/11 जैसा आतंकी हमला होता है तो..', विदेश मंत्री जयशंकर ने खोले कई राज़
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पुणे: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अगर 26/11 के मुंबई हमलों जैसा कोई हमला अब होता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है, तो "आप अगला हमला होने से कैसे रोक सकते हैं?" उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादियों को यह नहीं सोचना चाहिए कि "कोई हमें छू नहीं सकता" सिर्फ इसलिए कि वे बॉर्डर के दूसरी तरफ हैं। शुक्रवार शाम को पुणे में अपनी पुस्तक "व्हाई भारत मैटर्स" पर एक इंटरैक्टिव सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि, "आतंकवादी किसी नियम से नहीं चलते। इसलिए आतंकवादी को जवाब देने के लिए कोई नियम नहीं हो सकता।"

यह पूछे जाने पर कि भारत को किस देश के साथ संबंध बनाए रखना मुश्किल लगता है, जयशंकर ने कहा, "एक तो बगल में है। आज सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, और हमें ईमानदार रहना चाहिए, क्योंकि हम सभी जानते हैं। बहुत मुश्किल है पाकिस्तान से संबंध रखना।" उन्होंने  इसका कारण बताते हुए कहा कि, "हमें खुद देखना चाहिए कि ऐसा क्यों है। इसका एक कारण हम ही हैं। अगर हम शुरू से ही स्पष्ट होते कि पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है और इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाता, हमारी एक बहुत ही अलग नीति होती।''

जयशंकर ने आगे कहा कि, "1947 में, जब पाकिस्तान से पहली बार लोग कश्मीर आए और उस पर हमला किया, तो वह आतंकवाद था। शहरों और गांवों को जलाया जा रहा था, और वे बड़े पैमाने पर लोगों को मार रहे थे। ये पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी मोर्चे के आदिवासी थे, जिन्हें पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर को पूरी तरह से बाधित करने के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर कहा, 'हम आपके पीछे आएंगे'।'

उन्होंने कहा कि, "हमने सेना भेजी, और कश्मीर का भारत में विलय हुआ। जब भारतीय सेना अपनी कार्रवाई कर रही थी, जीत रही थी, तो हम रुक गए और संयुक्त राष्ट्र (UN) में पहुँच गए और आतंकवाद के बजाय आदिवासी आक्रमणकारियों के काम का उल्लेख किया। हमें इसमें बहुत स्पष्ट होना होगा हमारे मन में, किसी भी स्थिति में आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है, या यदि कोई पड़ोसी या कोई भी किसी को बातचीत की मेज पर लाने के लिए आतंकवाद का उपयोग करता है, तो इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।"

भारत की विदेश नीति में निरंतरता की बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि '50 फीसदी निरंतरता है और 50 फीसदी बदलाव है।' उन्होंने कहा कि "वह एक बदलाव आतंकवाद पर है। मुंबई 2008 हमले के बाद, एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसने महसूस किया हो कि हमें प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए थी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने केवल इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए विभिन्न दौर की चर्चा की कि 'पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत क्या होगी' यह पाकिस्तान पर हमला न करने की कीमत से भी अधिक है।'' 

 

गौरतलब है कि, 26/11 आतंकी हमले में लगभग 170 निर्दोष लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोग घायल हो गए थे। पाकिस्तान के 10 आतंकवादी अपने जेबों में हिन्दू नाम के ID कार्ड रखकर भारत में घुस आए थे। कुछ के हाथ में कलावा भी बंधा हुआ था, पाकिस्तान की साजिश ये थी कि, सभी आतंकी हमला करके मर जाएं और बाद में हमलावरों की पहचान हिन्दुओं के रूप में ही हो और हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी को बढ़ावा मिले। वहीं, भारत में अज़ीज़ बरनी नामक लेखक ने '26/11 RSS का षड्यंत्र' नामक किताब छाप दी और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह एवं फिल्मकार महेश भट्ट ने उस किताब को आतंकी हमले की जांच होने से पहले ही लॉन्च भी कर दिया। ये कहा जाने लगा कि, ये आतंकी हमला RSS ने करवाया है। जबकि उस समय के वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने सरकार के सामने पाकिस्तान में छिपे आतंकी संगठनों का रोडमैप रखा था और हमले की अनुमति मांगी थी, क्योंकि वे जानते थे कि हमला पाकिस्तानी आतंकियों ने ही किया है। लेकिन कांग्रेस सरकार ने उन्हें हमला करने की अनुमति नहीं दी। इधर हिन्दू आतंकवाद शब्द का प्रचार प्रसार होता रहा, लेकिन गलती से पाकिस्तान के 10 आतंकियों में से एक अजमल कसाब जिन्दा पकड़ा गया, जिसके हाथों में कलावा था। जब अजमल कसाब से पूछताछ की गई, तो उसने कबूला कि, उसे पाकिस्तान से जिहाद करने के लिए भेजा गया था, जन्नत की हूरों का लालच देकर। ये खुलासा होने के बाद अजीज बरनी ने तो अपनी किताब के लिए माफ़ी मांग ली, लेकिन दिग्विजय सिंह और महेश भट्ट ने निर्दोषों की लाशों पर झूठी कहानी गढ़ने और कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद शब्द उछालने के लिए आज तक खेद भी प्रकट नहीं किया है।   

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