कलकत्ता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर एक बालिग महिला अपनी सहमति से किसी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाती है, तो पुरुष को शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता, वयस्क होने के नाते, यह समझने में सक्षम थी कि अगर पुरुष शादी से इनकार करता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए वह शादी के वादे के झांसे का शिकार नहीं मानी जा सकती।
यह मामला उस वक्त अदालत में आया जब एक महिला ने आरोप लगाया कि वह और आरोपी युवक प्रेम संबंध में थे तथा दोनों ने भविष्य में विवाह करने का वादा भी किया था। दोनों एक बार घर से भाग भी गए थे, तथा पीड़िता ने यह आरोप लगाया कि इस के चलते आरोपी ने शादी का झांसा देकर कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। उसने यह भी दावा किया कि इन संबंधों के कारण वह गर्भवती हो गई थी। बाद में, जब उसने आरोपी से शादी करने को कहा तो उसने इनकार कर दिया और पीड़िता पर गर्भपात कराने का दबाव डालने लगा।
अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जहां पीड़िता बालिग है तथा अपने फैसले लेने में सक्षम है, वहीं उसके यह समझने की भी जिम्मेदारी बनती है कि प्रेम संबंधों में किसी पुरुष द्वारा शादी से इनकार करना एक संभावित जोखिम है। कोर्ट ने कहा कि एक व्यस्क महिला को किसी पुरुष के साथ संबंध बनाने से पहले इन संभावनाओं पर विचार करना चाहिए, तथा सिर्फ शादी के वादे के आधार पर संबंध बनाने को बाद में बलात्कार का आधार नहीं बनाया जा सकता।
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