कोलकाता: भारत में आगामी लोकसभा चुनावों से पहले, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक नेता ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की मतदाता सूची में बांग्लादेशियों को शामिल करने की कसम खाकर विवाद खड़ा कर दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, उक्त TMC नेता की पहचान पूर्व पंचायत प्रधान रत्ना विश्वास के रूप में की गई। एक वीडियो जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, उसमें उन्हें बांग्लादेशी अप्रवासियों से मतदान के लिए अपना नाम दर्ज कराने की अपील करते हुए सुना गया था।
TMC नेता और पंचायत सदस्य रत्ना बिस्वास ने 2024 के चुनाव से पहले बांग्लादेशियों को मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने में मदद करने का वादा किया है!
— Raman Suri BJP (@RamanSuriJnk) November 25, 2023
वह किसी स्थानीय तृणमूल नेता जाकिर का नाम ले रही है जो उनकी मदद करेगा...!! pic.twitter.com/DArMtTtJXN
उस वीडियो में TMC नेता रत्ना विश्वास ने कहा था कि, 'इस क्षेत्र में कई बांग्लादेशी रहते हैं। अगर जो लोग बांग्लादेश से यहां आए हैं, उन्हें मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने में दिक्कत आती है तो उन्हें जाकिर भाई से संपर्क करना चाहिए। ऐसे सभी लोगों को इस कार्यालय से संपर्क करना चाहिए, यह काम तेजी से किया जाना चाहिए।'' विवाद के बाद, स्थानीय पंचायत समिति के पूर्व अध्यक्ष जाकिर हुसैन (वीडियो में नामित) ने दावा किया कि, 'रत्ना बिस्वास का यह मतलब नहीं था। मेरे क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश लोग 1960-65 से पहले यहां आये थे।'
जाकिर हुसैन ने सफाई देते हुए आगे कहा कि, '1990 के बाद कई लोगों को मतदाता सूची से हटा दिया गया है, जो पहले मतदाता सूची में थे। दरअसल उन्होंने (रत्ना ने) उन लोगों की मदद करने की बात कही. हम निश्चित रूप से आम लोगों को मतदाता सूची में सुधार सहित सेवाएं निःशुल्क प्रदान करते हैं और यह सब कानून के अनुसार किया जाता है। उन्होंने (रत्ना ने) गलत तरीके से उन सभी को बांग्लादेशी बताया।''
इसके बाद भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) और बांग्लादेशियों को मतदाता सूची में शामिल करने के नापाक एजेंडे पर हमला बोला है। प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा है कि, ''सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) पहले से ही ऐसे मतदाता पहचान पत्र बनाने का काम कर रही है, घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची में जोड़े जाते हैं।' उन्होंने मामले की जांच की भी मांग की है।
TMC से सांसद भी बन गईं थीं एक बांग्लादेशी नागरिक :-
बता दें कि, पिछले साल मई में, यह पता चला था कि बनगांव दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद अलो रानी सरकार बांग्लादेशी नागरिक हैं। वे भारत में चुनाव लड़कर और वोट पाकर सांसद भी बन गईं थीं। यह खुलासे तब हुए जब उन्होंने चुनाव परिणाम और उक्त निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा नेता स्वपन मजूमदार की जीत को चुनौती देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया। याचिका पर न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि नामांकन दाखिल करने की तारीख, चुनाव की तारीख और परिणाम की घोषणा की तारीख पर अलो रानी सरकार बांग्लादेशी नागरिक थीं।
कोर्ट ने कहा था कि, 'याचिकाकर्ता के स्वयं के दस्तावेज़ को देखने से पता चलता है कि याचिकाकर्ता को 2021 का विधानसभा चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं था। चूंकि वह भारत की नागरिक नहीं है, इसलिए वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 के साथ पढ़े गए संविधान के अनुच्छेद 173 के संदर्भ में किसी राज्य की विधायिका में सीट भरने के लिए चुने जाने के योग्य नहीं होगी।"
रोहिंग्यों को भारत में रखने के पक्ष में हैं ममता बनर्जी:-
बता दें कि, 2005 में जब बंगाल में लेफ्ट यानी CPM की सरकार थी, उस समय ममता बनर्जी बंगाल से सांसद हुआ करती थीं। तब ममता ने आरोप लगाया था कि, CPM घुसपैठियों को बंगाल में बसा रही है और चुनावों में भी उन्हें वोटरों की तरह इस्तेमाल करती है। यहाँ तक कि, संसद में ममता बनर्जी ने घुसपैठियों (रोहिंग्या-बांग्लादेशी) को भारत से निकालने के लिए काफी हंगामा किया था और जब उस समय केंद्र की मनमोहन सरकार के समय उन्हें घुसपैठियों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं मिली थी, तो उन्होंने संसद से ही इस्तीफा दे दिया था। लेकिन, समय बदला और TMC सत्ता में आई, मुख्यमंत्री बनते ही ममता बनर्जी के विचार भी अचानक बदल गए।
बंगाल में बड़ा खेल
— Navneet Mishra (@navneetmishra99) June 13, 2023
179 OBC जातियों की सूची में 118 मुस्लिम जातियों को डाला।70 %हिंदू आबादी वाले राज्य में रिकॉर्ड 91.5% आरक्षण लेने में सफल रहीं मुस्लिम जातियां।हिंदू पिछड़ों को सिर्फ 8 % का आरक्षण मिला।पिछड़ा आयोग की चौंकाने वाली रिपोर्ट।रोहिंग्या के भी लिस्ट में होने की आशंका pic.twitter.com/wpWiBXOmDR
अब वे रोहिंग्या-बांग्लादेशी के पक्ष में खड़ी नज़र आती हैं, यहाँ तक कि, केंद्र सरकार जब NRC कर घुसपैठियों को निकालने की बात करती है, तो ममता उसका पुरजोर विरोध करती हैं और कहती हैं रोहिंग्या आम इंसान हैं, हम उनके लिए चिंतित हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि, कहीं ऐसा तो नहीं कि, अवैध घुसपैठियों से 2005 में जो सियासी लाभ लेफ्ट को मिलता था, वही अब सीएम ममता को मिलने लगा है और इसलिए वो खुद OBC का हक मारकर इन्हे फायदा पहुंचा रहीं हैं ? दरअसल, बंगाल में OBC आरक्षण में रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों का भी नाम है, और वे लोग शिक्षा और सरकारी नौकरियों में भारत के पिछड़े वर्ग का हक मार रहे हैं, इसमें बंगाल सरकार उनका साथ दे रही है।