भोपाल: राज्य के पूर्व सीएम एवं केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के गढ़ बुधनी में उपचुनाव के चलते राजनीतिक बयानबाजी चरम पर पहुंच गई है। बीजेपी एवं कांग्रेस के बीच चुनावी प्रचार में तीखे बयानों का दौर जारी है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान के एक बयान ने सियासत को और गर्मा दिया है। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कार्तिकेय को नसीहत दी है।
बुधनी विधानसभा उपचुनाव के प्रचार में बीजेपी एवं कांग्रेस के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है। इस के चलते शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वे कांग्रेस MLA के जीतने पर गांव में विकास कार्य रुकने की बात कर रहे हैं। इस वीडियो पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कार्तिकेय को नसीहत दी। वायरल वीडियो में कार्तिकेय सिंह चौहान एक चुनावी सभा में कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, "अगर किसी तरह से कांग्रेस का विधायक चुन लिया जाता है तो गांव में एक ईंट भी नहीं लगेगी।" उन्होंने सरपंच से कहा, "उन्नीस बीस हुआ तो आप समझिए किसका नुकसान होगा। हम अपने पैरों पर क्यों कुल्हाड़ी मारें? यदि कांग्रेस का विधायक जीत गया, तो हम किस मुंह से मुख्यमंत्री या कृषि मंत्री से काम करवाने जाएंगे?"
कार्तिकये अभी से इस प्रकार का भाषण ना दो। अपने पिता @ChouhanShivraj जी से सीखो। लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों मिल कर भारत निर्माण में सहयोग करते हैं। १० साल तक मैं मुख्य मंत्री रहा लेकिन मैंने इस प्रकार की भाषा का कभी उपयोग नहीं किया आपके पिता गवाह हैं। पंचायत राज क़ानून में… https://t.co/BPi5neHNgy
— Digvijaya Singh (@digvijaya_28) October 25, 2024
इस वीडियो को साझा करते हुए दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर कार्तिकेय को नसीहत दी। उन्होंने लिखा, "कार्तिकेय, अभी से इस प्रकार का भाषण न दो। अपने पिता @ChouhanShivraj जी से सीखो। लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष मिलकर भारत के निर्माण में सहयोग करते हैं। मैंने 10 वर्षों तक सीएम रहते हुए कभी ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया।" दिग्विजय सिंह ने पंचायत राज कानून का हवाला देते हुए कहा कि निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सरपंच की होती है, न कि विधायक की। साथ ही उन्होंने कार्तिकेय को याद दिलाया कि वे न तो सरपंच हैं और न ही विधायक। दिग्विजय ने कहा, "आप मेरे पुत्र नहीं, पौत्र समान हैं। यह मेरी राय है, मानें या न मानें, यह आप जानें।" उन्होंने कार्तिकेय को सलाह दी कि वे चुनावी मंच से मर्यादित भाषा का इस्तेमाल करें तथा अपने पिता से सीखें, जो लोकतंत्र की मर्यादा का पालन करते आए हैं।
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