'अगर नागा साधू कॉलेज में दाखिला लेकर बिना कपड़ों के जाए तो ?', कॉमन ड्रेस कोड के लिए SC में याचिका

'अगर नागा साधू कॉलेज में दाखिला लेकर बिना कपड़ों के जाए तो ?', कॉमन ड्रेस कोड के लिए SC में याचिका
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नई दिल्ली: कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब विवाद से पूरे देश में सियासी कोहराम मचा हुआ है। इस बीच एक लॉ स्टूडेंट ने सर्वोच्च न्यायालय में PIL दाखिल करते हुए पूरे देश के शैक्षणिक संस्थानों के लिए समान ड्रेस कोड लागू करने की माँग की है। यह याचिका दाखिल करने वाले लॉ स्टूडेंट कोई और नहीं बल्कि शीर्ष अदालत के वकील अश्विनी उपाध्याय के 18 वर्षीय पुत्र निखिल उपाध्याय हैं।

याचिकाकर्ता निखिल उपाध्याय ने अपनी PIL में कहा है कि देश में समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखने के लिए कॉमन ड्रेस कोड अत्यंत आवश्यक है। कॉमन ड्रेस कोड ही एक मात्र रास्ता है, जिससे जातिवाद, साम्प्रदायिकता और अलगाववाद से निपटा जा सकता है। इसके साथ ही निखिल उपाध्याय ने इस मामले पर शीघ्र सुनवाई की माँग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को इस मुद्दे के समाधान के लिए न्यायिक आयोग या एक्सपर्ट कमेटी का गठन करने की भी माँग की है।

कोर्ट में हिजाब मुद्दे को उठाते हुए निखिल उपाध्याय ने याचिका में नागा साधुओं का हवाला दिया और कहा कि यदि कभी कॉलेज में दाखिला  लेकर कोई नागा साधु अपने धार्मिक परंपराओं का हवाला देते हुए बिना कपड़ों के कॉलेज पहुँच गया, तो क्या होगा। याचिका में कहा गया है स्कूल-कॉलेज, राष्ट्र निर्माण, रोजगार, ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने के लिए होते हैं न कि धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के लिए। निखिल ने केंद्र व राज्यों को सभी शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड लागू करने के लिए निर्देश देने की गुहार भी सुप्रीम कोर्ट से लगाई है।

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