'अगर नेताजी बोस जीवित होते, तो भारत का बंटवारा कभी न होता..', NSA अजित डोभाल ने महात्मा गांधी का जिक्र कर कही ये बात

'अगर नेताजी बोस जीवित होते, तो भारत का बंटवारा कभी न होता..', NSA अजित डोभाल ने महात्मा गांधी का जिक्र कर कही ये बात
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नई दिल्ली: ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस यदि जीवित रहे होते, तो भारत का विभाजन नहीं हुआ होता.’ ये कहना है देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल का. दरअसल, NSA डोभाल आज यानी शनिवार (17 जून) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेमोरियल में संबोधन देते हुए ये बातें कहीं. लेक्चर के दौरान NSA डोभाल ने कहा कि नेताजी ने अपनी जिंदगी में कई बार अपने फैसलों पर खड़े हुए, उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को चुनौती देने का भी साहस दिखाया था.

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि गांधीजी उस समय अपने सियासी करियर के चरम पर थे. तब उन्होंने (नेताजी) इस्तीफा दे दिया और जब वह कांग्रेस से बाहर निकल गए, तो उन्होंने अपने संघर्ष का नए सिरे से आगाज़ किया. डोभाल ने कहा कि मैं अच्छे या बुरे की बात नहीं कर रहा हूं, मगर भारतीय इतिहास और विश्व इतिहास में ऐसे लोगों की समानताएं बेहद कम हैं, जो लहरों के खिलाफ नाव चलाने की हिम्मत रखते थे. NSA डोभाल ने कहा कि नेताजी इस जंग में अकेले थे, उनके साथ जापान के रूप में केवल एक ही देश का सहयोग था. NSA ने नेताजी के जिंदगी के संबंध में भी बात की. उन्होंने बताया कि नेताजी के मन में विचार थे कि मैं अंग्रेजों के खिलाफ लड़ूंगा और आजादी के लिए उनसे भीख नहीं मागूंगा. ये मेरा अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा.

NSA ने आगे कहा कि सुभाष चंद्र बोस यदि जीवित रहे होते, तो भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता. जिन्ना ने भी कहा था कि मैं केवल एक नेता को अपने साथ ले सकता हूं और वो हैं सुभाष चंद्र बोस. NSA डोभाल ने बताया कि मेरे मन में हमेशा एक सवाल खड़ा होता है. जीवन में हमारे प्रयास मायने रखते हैं या परिणाम मायने रखते हैं. सुभाष चंद्र बोस ने जो कार्यों किए , उनपर कोई उंगली नहीं उठा सकता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी खुद उनके प्रशंसक थे. मगर लोग अक्सर आपके द्वारा हासिल किए गए परिणामों के आधार पर आपको आंकते हैं. तो क्या फिर नेताजी के सारे प्रयास व्यर्थ चले गए? डोभाल ने कहा कि उनके निधन के बाद भी हम नेताजी के बनाए गए राष्ट्रवाद के विचारों से डरते हैं, जबकि उनके विचारों पर कितने ही भारतीयों ने चला होगा. इतिहास उन्हें लेकर काफी निर्दयी रहा है.

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