कोलकाता: आज पूरे देश में विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करने की परंपरा, जो रामायण और महाभारत काल से चली आ रही है, आज भी जीवित है। भारतीय सेना भी इस परंपरा को निभाती है। इसी मौके पर, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दार्जिलिंग के सुकना कैंट में सैनिकों के साथ विजयादशमी का पर्व मनाया और शस्त्र पूजा की।
#WATCH पश्चिम बंगाल: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "मैं आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां शास्त्रों और शस्त्रों दोनों की पूजा की जाती है। ऐसा लग सकता है कि लोहे और लकड़ी से बनी चीजों की पूजा करने का क्या औचित्य है? लेकिन वास्तव… pic.twitter.com/C6U4Sh9Z6U
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 12, 2024
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के हितों की रक्षा के लिए देश कोई भी बड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ शास्त्रों और शस्त्रों दोनों की पूजा की जाती है। उन्होंने समझाया कि लोहे और लकड़ी से बनी वस्तुओं की पूजा का उद्देश्य उनका आदर करना और उनके प्रति आभार प्रकट करना है, जो हमारी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि विजयादशमी पर भगवान राम की रावण पर जीत केवल उनकी व्यक्तिगत विजय नहीं थी, बल्कि यह मानवता की जीत थी। रावण, जो विद्वान था, फिर भी बुराइयों का प्रतीक बन गया था। भगवान राम की उससे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी, लेकिन रावण का अंत मानवता के लिए आवश्यक था।
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत ने कभी किसी देश के खिलाफ पहले युद्ध नहीं किया है, बल्कि तब युद्ध किया है जब मानव मूल्यों पर हमला हुआ है। उन्होंने चेताया कि अगर हमारे राष्ट्रीय हितों पर खतरा आया, तो भारत किसी भी बड़े कदम से पीछे नहीं हटेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें अपने पड़ोसियों की हरकतों से सतर्क रहना चाहिए और किसी भी स्थिति में पूरी तरह तैयार रहना चाहिए, चाहे वैश्विक हालात कैसे भी हों।
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