भुबनेश्वर: ओडिशा में 50 साल की एक महिला द्वारा प्रशासन कार्यालय परिसर में आत्मदाह का प्रयास करने का केस सुनने को मिला है। जाजपुर जिले में एक स्थानीय प्रशासन कार्यालय के परिसर में सोमवार को एक महिला ने जमीन बेचने को लेकर तहसीलदार पर प्रताड़ित करने का इल्जाम लगाते हुए खुद को आग लगाने की कोशिश की।
हालांकि, नेउलपुर गांव की महिला को स्थानीय लोगों और धर्मशाला तहसील कार्यालय के कर्मचारियों ने किसी तरह महिला पर काबू पाया और उसे पास के हॉस्पिटल लेकर गए। महिला ने कहा है कि "बार-बार कोशिशों और तहसील प्रशासन द्वारा प्रताड़ित करने के बावजूद जमीन का एक प्लॉट बेचने में नाकाम रहने के उपरांत मैंने आत्महत्या करने का निर्णय कर लिया।"
महिला ने यह भी कहा है कि अपने 2 बेटों की पढ़ाई के खर्च को पूरा करने के लिए एक भूखंड को बेचना चाह रही थी। उन्होंने बोला है कि "मैंने चार माह पहले धर्मशाला के तहसीलदार से संपर्क किया था कि मुझे समेकित भूमि का एक टुकड़ा बेचने की मंज़ूरी दी जाए। उन्होंने मुझे राजस्व निरीक्षक (आरआई) कार्यालय जाने का निर्देश दिया और मैंने संबंधित RI से आवश्यक रिपोर्ट एकत्र कर ली। जब मैं रिपोर्ट लेकर तहसीलदार से मिली, तो उन्होंने मुझे जाजपुर उप-जिलाधिकारी के कार्यालय से संपर्क करने का आदेश जारी किया और लगभग एक माह तक प्रक्रिया चलने के बाद मुझे उप-जिलाधिकारी से मंजूरी दी गई।"
जहां इस बात का पता चला है कि महिला ने दावा किया कि कुछ सप्ताह पूर्व उसने तहसीलदार से सारी रिपोर्ट्स साथ ले जाकर एक बार फिर मीटिंग की, उस बीच उसे कुछ दिनों के उपरांत आने के लिए बोला गया था। पीड़िता ने बोला है कि सोमवार को जब वह संबंधित तहसीलदार से उसके कार्यालय कक्ष में मिली तो उसने 'चाका' (चकबंदी) की जमीन होने की वजह से उसे जमीन बेचने की अनुमति देने से मना कर दिया और कथित तौर पर दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया।
जिसके उपरांत जाजपुर कलेक्टर चक्रवर्ती सिंह से संपर्क करने पर उन्होंने बोला है कि पीड़ित की जमीन को कानून के तहत बिक्री के लिए अनुमति नहीं है क्योंकि यह 'चाका' भूमि है। चकबंदी (चकबंदी) कानून के मुताबिक यह बिक्री के लिए भूमि के विखंडन की अनुमति नहीं देता है।
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