आज की लाइफ स्टाइल का असर बच्चों के फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है. खेल के मैदान का लेकर, एजुकेश से लेकर खेलकूद, हर क्षेत्र में उन पर प्रतियोगिताओं में आगे निकलने का दबाव पड़ता है. यदि छोटा परिवार हो और माता-पिता दोनों वर्किंग हो तब बच्चे अकेलेपन से ज्यादा जूझते है. इन कारणों से बच्चो में चिड़चिड़ापन आ रहा है. जल्दी गुस्सा आना अब एक समस्या बन गई है.
पेरेंट्स को बच्चों के इस व्यवहार की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. बल्कि उसके कारणों को जानने की कोशिश करनी चाहिए. साइक्लोजिस्ट कहते है, यदि बच्चे स्कुल में कोई विषय नहीं समझ पा रहे है या दोस्तों के बीच झगड़ा व नाराजगी या खेलकूद न कर पाने के कारण बच्चे का व्यवहार चिड़चिड़ा हो सकता है. यह भी हो सकता है कि पेरेंट्स का अटेंशन पाने के लिए वह गुस्सा कर रहा हो. पेरेंट्स इस व्यवहार के कारण दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने ही बच्चों को डांटते है.
ऐसा करने से उनके व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ता है. बच्चे को ऐसी हरकत करने पर अकेले में समझाए. उसके साथ समय बिताए, अपनी चिंताओं के लिए बच्चों को दोष न दे. सकारात्मक वातावरण बनाने का प्रयास करे. इस समस्या को नजरअंदाज न करे, इससे बच्चे के आत्मसम्मान पर प्रभाव पड़ता है. सम्भव हो तो साइक्लोजिस्ट से सम्पर्क करे.
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