लंबे वक्त से प्रतिबंध की मार झेलने के बाद केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की अगुवाई में फिर से खड़ी हुई भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) को विरासत में खाली खजाना मिला है. एएआई के खजाने में फूटी कौड़ी नहीं है, जिसके चलते फेडरेशन ने विश्व कप की टीम के चयन के लिए तीरंदाजों को अपने खर्च पर ट्रायल में उतरने को कह दिया है.
अमूमन ओलंपिक पदक के दावेदार खेल संघ के खजाने में पैसा और प्रायोजक दोनों रहते हैं, लेकिन मुंडा की अगुवाई वाले तीरंदाजी संघ के पास फूटी कौड़ी भी नहीं है. जिस समय अस्थाई समिति तीरंदाजी संघ का काम देख रही थी उस दौरान भी यह मुद्दा उठा था कि संघ के खजाने में कोई पैसा नहीं है बल्कि उस पर देनदारी चढ़ी हुई है. संघ के एक पदाधिकारी का कहना है कि पुराने पदाधिकारियों से तकरीबन 60 लाख रुपये के एकाउंट का हिसाब-किताब होना बाकी रह गया है. इस वक्त संघ के पास कोई प्रायोजक भी नहीं है जिससे पैसा जुटाया जा सके.
पैसा नहीं होने के चलते फेडरेशन ने 29 फरवरी से से दो मार्च तक सोनीपत में दो विश्व कप के लिए कंपाउंड तीरंदाजों की और 11 से 13 फरवरी तक जूनियर एशियाई चैंपियनशिप के लिए रीकर्व तीरंदाजों की टीम चयनित करने के लिए सोनीपत में ट्रायल बुलाए हैं. तीरंदाजी संघ की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि ट्रायल में खेलने के लिए उन्हें अपने रहने-खाने का खुद इंतजाम करना पड़ेगा. उन्हें सिर्फ ट्रायल के लिए मैदान अवेलबल कराया जाएगा. हालांकि पहले तीरंदाजी संघ की ओर से इस तरह के ट्रायल के लिए तीरंदाजों को रहने-खाने का खर्च दिया जाता था.
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