शनिदेव को न्याय का देवता कहते हैं इन्हे प्रसन्न करने के लिए हर कोई इनकी अराधना में लगा रहता है क्योंकि इनकी नाराजगी इंसान को बर्बाद कर देती हैं और आज हम आपसे शनिदेव की कुछ खास बातों के बारे में ही चर्चा करने वाले हैं। यहां पर हम जानेंगे कि कुंडली में शनि जिस भाव में हैं, उसकी स्थिती के अनुसार जीवन में सुख-दुख मिलते हैं।
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि प्रथम भाव में है, वह व्यक्ति सुखी जीवन जीने वाला होता है। अगर इस भाव में शनि अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति रोगी, गरीब और गलत काम करने वाला हो सकता है।
जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में है, उन्हें हर शनिवार तेल का दान करना चाहिए। शनिवार को पीपल की पूजा करें और सात परिक्रमा करें।
सप्तम भाव का शनि होने पर व्यक्ति बीमारियों से परेशान रहता है। गरीबी का सामना करता है। ऐसे लोगों के वैवाहिक जीवन में अशांति रहती है।
ऐसा व्यक्ति जिसकी कुंडली में नवम भाव में शनि है, धर्म-कर्म में विश्वास नहीं करता है। इनके जीवन में अधिकतर पैसों की कमी बनी रहती है।
जिसकी कुंडली के ग्याहरवें भाव में शनि है, वह लंबी आयु वाला, धनी, कल्पनाशील, स्वस्थ रहता है। इन्हें सभी सुख मिलते हैं।
कुंडली में पंचम भाव का शनि हो तो व्यक्ति दुखी रहता है और दिमाग से संबंधित कामों में परेशानियों का सामना करता है।
दूसरे भाव में शनि हो तो व्यक्ति लालची हो सकती है। ऐसे लोग विदेश से धन लाभ कमाने वाले होते हैं।
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में है, वह जीवन में अधिकतर बीमार और दुखी रहता है।
तृतीय भाव में शनि हो तो व्यक्ति संस्कारी, सुंदर शरीर वाला थोड़ा आलसी होता है।
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