लखनऊ: हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ रामचरितमानस की चौपाइयों पर समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद मचे बवाल पर पहली बार सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपना पक्ष रखा। आज शनिवार (25 फ़रवरी) को बजट सत्र के 6वें दिन विधानसभा में बोलते हुए सीएम योगी ने कहा कि ऐसी बात अगर किसी अन्य मजहब में हुई होती, तो क्या होता? सीएम योगी ने कहा कि यह हिंदू धर्म ही है कि जिसे जो मन में आए, बोल देता है। उन्होंने कहा कि अवधी में 'ताड़ना' का मतलब 'मारना' नहीं 'देखना' होता है। इसी प्रकार बुंदेलखंडी में लिखे 'शूद्र' का मतलब श्रमिक यानी मजदूर से है। इन दोनों शब्दों का गलत मतलब निकाला गया।
सीएम योगी ने आगे कहा कि तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस को कुछ लोगों ने फाड़ने और जलाने का काम किया। ऐसी ही घटना अगर किसी दूसरे मजहब के साथ हुई होती, तो सब देखते कि क्या होता? उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी ने जिस कालखंड में धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस की रचना की, उन्होंने इसके माध्यम से पूरे समाज को जोड़ दिया, मगर आज कुछ लोगों ने इस धार्मिक ग्रंथ को फाड़ने की कोशिश की। जिसकी मर्जी आए, हिंदुओं का अपमान कर दे। यदि किसी दूसरे मजहब के साथ ऐसा हुआ होता, तो सोचिए क्या होता?
मुख्यमंत्री ने अपने मॉरिशियस दौरे का जिक्र करते हुए कहा है कि मैं वहां प्रवासी भारतीयों के एक आयोजन में गया था। मैंने उनसे पुछा कि, क्या आपके पास कोई धरोहर है, उन्होंने मुझे रामचरित मानस दिखाई। मैंने पूछा कि आपको पढ़ना आता है? तब उन्होंने कहा कि हम पढ़ना नहीं जानते, मगर यही हमारी विरासत है। हम जानते हैं कि रामचरित मानस अवधी भाषा में रची गई। क्या उसके शब्दों का सही मतलब सवाल उठाने वालों को मालूम है ?
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि रामचरित मानस पर बवाल मचा किया गया। सपा दफ्तर के बाहर पोस्टर लग रहे हैं। क्या ये उचित है? उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश कृष्ण की धरती है, संगम की धरती है, राम की धरती है। यहां रामायण जैसे ग्रंथ रचे गए। ऐसे ग्रंथों को आज क्यों जलाया जा रहा है? क्या यह देश और दुनिया में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं को अपमानित करने की कोशिश नहीं है?
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