नई दिल्ली: आज शनिवार (4 जनवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 का उद्घाटन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थीं। उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 में कारीगरों से भी बातचीत की।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में गाँवों की महत्ता बताते हुए कहा कि "हमारे गांव जितने समृद्ध होंगे, विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में उनकी भूमिका उतनी ही बड़ी होगी। इस संबंध में, हमें आज सुबह लगभग 11 बजे दिल्ली में ग्रामीण भारत महोत्सव का उद्घाटन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। यह कार्यक्रम ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बहुत उपयोगी होने वाला है।"
सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि, इस महोत्सव का उद्देश्य विभिन्न चर्चाओं, कार्यशालाओं और मास्टरक्लास के माध्यम से ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाना और ग्रामीण समुदायों के भीतर नवाचार को बढ़ावा देना है। इसके उद्देश्यों में वित्तीय समावेशन को संबोधित करके और टिकाऊ कृषि प्रथाओं का समर्थन करके उत्तर-पूर्व भारत पर विशेष ध्यान देने के साथ ग्रामीण आबादी के बीच आर्थिक स्थिरता और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देना शामिल है।
महोत्सव का एक महत्वपूर्ण फोकस उद्यमिता के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना; सहयोगात्मक और सामूहिक ग्रामीण परिवर्तन के लिए रोडमैप बनाने के लिए सरकारी अधिकारियों, विचारकों, ग्रामीण उद्यमियों, कारीगरों और विविध क्षेत्रों के हितधारकों को एक साथ लाना; ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी और नवीन प्रथाओं का लाभ उठाने के बारे में चर्चा को प्रोत्साहित करना; और जीवंत प्रदर्शनों और प्रदर्शनियों के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करना होगा।
इस दौरान जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, ''मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मेरा बचपन एक छोटे से कस्बे में बीता, जहां मुझे ग्रामीण क्षेत्रों की चुनौतियों का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ। साथ ही, इससे मुझे गांवों में छिपी अपार संभावनाओं को समझने में भी मदद मिली। अपनी कड़ी मेहनत के बावजूद, सीमित संसाधनों के कारण ग्रामीण अक्सर अवसरों तक पहुंचने के लिए संघर्ष करते हैं।''
उन्होंने अपनी सरकार के उद्देश्य बताते हुए कहा कि, ''वर्ष 2014 से मैं निरंतर हर पल ग्रामीण भारत की सेवा के लिए काम कर रहा हूँ। गांवों में लोगों को सम्मानजनक जीवन देना मेरी सरकार की प्राथमिकता है। हमारा लक्ष्य ग्रामीण भारत के लोगों को सशक्त बनाना, उन्हें आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करना, पलायन को रोकना और उनके जीवन को आसान बनाना है। इसे हासिल करने के लिए हमने हर गांव में बुनियादी सुविधाओं की गारंटी देने का अभियान शुरू किया है।''
पीएम मोदी ने कहा कि, ''गांव के हर वर्ग के लिए विशेष नीतियां बनाई हैं। दो-तीन दिन पहले ही कैबिनेट ने 'पीएम फसल बीमा योजना' को एक वर्ष अधिक तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है। आज दुनिया में DAP का दाम बढ़ रहा है, आसमान छू रहा है, लेकिन हमने निर्णय किया कि हम किसान के सिर पर बोझ नहीं आने देंगे और सब्सिडी बढ़ाकर DAP का दाम स्थिर रखा है। हमारी सरकार की नीयत, नीति और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा से भर रहे हैं।''
पीएम मोदी ने जनसभा में कहा कि, ''कृषि के अलावा भी हमारे गांव में अलग अलग तरह के पारंपरिक कला और कौशल से जुड़े हुए कितने ही लोग काम करते हैं। रूरल इकोनॉमी और लोकल इकोनॉमी में इनका बड़ा योगदान रहा है, लेकिन पहले इनकी भी उपेक्षा हुई। अब हम उनके लिए पीएम विश्वकर्मा योजना चला रहा हैं। ये योजना देश के लाखों विश्वकर्मा साथियों को आगे बढ़ने का मौका दे रही है।''
इस दौरान प्रधानमंत्री ने पूर्व की सरकारों पर भी निशाना साधा .उन्होंने कहा कि, ''पहले की सरकारों ने SC-ST-OBC की आवश्यकताओं की ओर ध्यान नहीं दिया। गांव से पलायन होता रहा, गरीबी बढ़ती रही, गांव और शहर के बीच की खाई बढ़ती रही। जिन्हें किसी ने नहीं पूछा, उन्हें मोदी ने पूजा है। जो इलाके दशकों से विकास से वंचित थे, अब उन्हें बराबरी का हक मिल रहा है। ये सब काम (of empowering villages) पहले की सरकारों में भी तो हो सकते थे. मोदी का इंतजार करना पड़ा क्या?''
गरीबी पर SBI की रिसर्च रिपोर्ट का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, ''अभी कल ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट आई है, जिसके अनुसार 2012 में भारत में ग्रामीण गरीबी करीब 26 प्रतिशत थी। जबकि 2024 में भारत में ग्रामीण गरीबी घटकर 5 प्रतिशत से भी कम हो गई है।'' उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को SBI ने भारत में गरीबी को लेकर एक रिसर्च रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार, भारत की अत्यधिक गरीबी दर में जबरदस्त सुधार हुआ है, अब ये घटकर केवल 5 फीसद के आसपास रह गई है. SBI का अनुमान है कि ये दर अभी और नीचे जाएगी. वहीं, 2022-23 तक गरीबी दर घटकर 11.28% रह गई है, जो 2011-12 तक 29.8% हुआ करती थी.