डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का यदि आप भी करते है इस्तेमाल तो खबर है आपके लिए

डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का यदि आप भी करते है इस्तेमाल तो खबर है आपके लिए
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अगर आप बाजार से कोई भी प्रोडक्ट खरीदते हैं, तो क्या कभी डिब्बे पर लिखी जानकारी को ध्यान से पढ़ते हैं? आमतौर पर हम सिर्फ एक्सपायरी डेट चेक करते हैं और बाकी जानकारी पर ध्यान नहीं देते। लेकिन हाल ही में एक वायरल वीडियो ने यह दिखाया है कि कंपनियां ग्राहकों को किस तरह से गुमराह करती हैं। इस वीडियो को देखकर लोगों ने इसे "आंखें खोलने वाली" क्लिप करार दिया है और इसे अधिक से अधिक शेयर करने की अपील की है।

वायरल वीडियो की सच्चाई

यह वायरल वीडियो 'फूडफार्मर' के नाम से मशहूर इन्फ्लुएंसर रेवंत हिमतसिंगका द्वारा शेयर किया गया है। रेवंत ने यह वीडियो लिंक्डइन पर पोस्ट किया और कैप्शन में लिखा कि "भारतीय डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की वो सच्चाई, जो हर किसी को देखनी चाहिए।" उन्होंने खाद्य सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों से अपील की कि वे कंपनियों की मार्केटिंग ट्रिक्स को गंभीरता से लें और आवश्यक कार्रवाई करें।

कंपनियों के धोखाधड़ी के उदाहरण

वीडियो में रेवंत एक पॉडकास्ट में बातचीत करते हुए बताते हैं कि कैसे कंपनियां ग्राहकों को गुमराह करती हैं। उन्होंने एक लोकप्रिय बिस्किट ब्रांड का उदाहरण दिया, जिसमें दावा किया गया था कि बिस्किट में काजू है, लेकिन वास्तव में नट्स की मात्रा केवल 0.4 प्रतिशत ही थी। इसके अलावा, एक बिस्किट पर दावा किया गया कि यह 'Whole Wheat' है, जबकि उसमें मैदे की मात्रा 52.11 प्रतिशत है। रेवंत के अनुसार, कंपनियां जानती हैं कि लोग डिब्बे पर लिखी बातों को ध्यान में नहीं रखते, और वे इसी का फायदा उठाती हैं।

 

रेवंत का कड़ा रुख और प्रभाव

रेवंत हिमतसिंगका को FMCG कंपनियों के खिलाफ उनकी सख्ती के लिए जाना जाता है। उन्होंने पहले बॉर्नविटा के मामले को उजागर किया था, जिसमें उन्होंने पाया कि बॉर्नविटा में चीनी की मात्रा बहुत अधिक है। इस खुलासे के बाद बॉर्नविटा को 75 साल बाद 'हेल्थ ड्रिंक' टैग को छोड़ना पड़ा। इसके बाद, भारत सरकार ने ई-कॉमर्स वेबसाइट्स को निर्देश दिए कि वे बॉर्नविटा को हेल्थ ड्रिंक की कैटेगरी में न रखें। इस वायरल वीडियो ने खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और कंपनियों की मार्केटिंग ट्रिक्स को लेकर जागरूकता बढ़ाई है। यह दर्शाता है कि हमें डिब्बे पर लिखी हर जानकारी को ध्यान से पढ़ना चाहिए और कंपनियों के दावों की सच्चाई पर गौर करना चाहिए। खाद्य सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों को भी चाहिए कि वे इस तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें ताकि ग्राहकों को सही और सुरक्षित खाद्य उत्पाद मिल सकें।

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