बहुत लंबे अरसे से हम हिंदी सिनेमा में स्पाई और सुपर सीक्रेट एजेंट की सीरीज में सलमान खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार सरीखे नायकों को कमान संभालते हुए देख चुके है, ऐसे में कंगना रनौत जैसी समर्थ एक्ट्रेस को हाई ऑक्टेन ऐक्शन से सजी स्पाई मूवी 'धाकड़' में लीडिंग लेडी के रूप में देखना निसंदेह एक बड़ा चेंज देखने के लिए मिला है। मूवी के ट्रेलर लॉन्च के उपरांत से ही टोरेन्टीनो स्टाइल के धुंआदार ऐक्शन को देखते हुए कंगना की इस मूवी के लेकर दर्शकों की अपेक्षाएं और भी ज्यादा बढ़ गई थी। जिसमे कोई शक नहीं कि एक्शन के केस में यह मूवी बाजी मार ले जाती है, मगर इमोशन के केस में कमजोर साबित हो चुकी है। मूवी के लिए एक दूसरी चुनौती है, इसी के साथ रिलीज होने वाली 'भूल भुलैया 2' जो हॉरर कॉमिडी है, जिसे हर वर्ग का दर्शक भी देख सकता है, मगर कंगना की धाकड़ को 'ए' सर्टिफिकेट दिया गया है, तो इसे मात्र 18 वर्ष से ऊपर के दर्शक भी देख पांएगे।
रिव्यू: निर्देशक रजनीश रैजी घई की मूवी हॉलिवुड स्टाइल के थर्रा देने वाले ऐक्शन सीक्वेंस और हैरतअंगेज विजुअल्स सबसे सामने पेश कर चुकी है। मूवी का तकनीकी पक्ष मजबूत है, कैमरावर्क (कैमरामैन टैटसुओ नागाटा) की ब्लैक एंड वाइट और धूसर बानगी की तो बात ही निराली है, मगर निर्देशक कहानी के केस में कमजोर साबित हुए हैं। माता-पिता की मौत का बदला लेनेवाला इमोशन हो या मासूमों की जिस्मफरोशी का मुद्दा, कहीं न कहीं कथा-पटकथा आपको भावनात्मक रूप से जोड़ने में कमतर देखने के लिए मिला है। मूवी का स्क्रीनप्ले बेहतर हो सकता था। बिना किसी लव एंगल की 2 घंटे 10 मिनट की अवधि वाली यह मूवीतेज रफ्तार ऐक्शन के बावजूद लंबी लगने लग जाती है। संगीत के बारें में बात की जाए तो बादशाह के 'शी इज ऑन फायर' के अलावा दूसरे गाने निराश कर रहे है। मूवी का क्लाइमेक्स प्रिडिक्टेबल साबित होता है।
यह मूवी पूरी तरह से कंगना की है। 'जिस्म से रूह अलग करना बिजनस है मेरा' डायलॉग बोलने वाली कंगना वाकई एजेंट अग्नि के रूप में ऐक्शन के केस में अच्छे-अच्छों की छुट्टी करती दिखाई दे रही है। हाई ऑक्टेन ऐक्शन में उनकी चपलता, एक्प्रेशन और लुक हर किसी को दीवाना बना रहे है। हैंड टू हैंड कॉम्बैट में भी वे कहीं से उन्नीस साबित नहीं होती। अपनी भूमिका में उन्होंने ग्लैमर का तड़का भी लगा दिया है। रुद्रवीर के रूप अर्जुन रामपाल का विलेनिश अंदाज दमदार है। उन्होंने इसे अपने लुक और लोरी के माध्यम अलग बनाने का प्रयास किया है। रोहिणी के रूप में दिव्या दत्ता ने जिस क्रूरता का परिचय दिया है, वह उनके समर्थ एक्ट्रेस होने को एक बार और साबित करता है। एक अरसे बाद पर्दे पर नजर आए शारिब हाशमी ने अपनी छोटी-सी भूमिका के साथ न्याय किया है, मगर उन्हें थोड़ा और ज्यादा स्क्रीन स्पेस दिया जाना चाहिए था। बॉब बिस्वास के रूप में फेमस शास्वत चटर्जी एक बार फिर चौंकाने में सफल हो गए हैं।
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