सनातन धर्म में पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं तथा उनके लिए श्राद्ध, दान आदि कर्म करते हैं। साल 2024 में पितृपक्ष 17 सितंबर से आरम्भ होगा। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस के चलते पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं। इस वक़्त यदि आप पितरों के निमित्त श्राद्ध करते हैं, तो कई प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। अगर आपके पितृ अतृप्त हैं या आप पर पितृदोष है, तो पितृपक्ष शुरू होने से पहले कुछ संकेत आपको मिल सकते हैं, जो बताते हैं कि आपके पितृ आपसे संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में पितृपक्ष के चलते विशेष उपाय करने की आवश्यकता होती है।
पितृदोष के संकेत:
तुलसी का पौधा: अगर आपके घर में तुलसी का पौधा है और उसका ठीक से रखरखाव करने के बावजूद पितृपक्ष से पहले वह सूखने लगे, तो यह पितृदोष का संकेत हो सकता है और आपके पितृ अतृप्त हो सकते हैं।
घर में समस्याएँ: अगर पितृपक्ष से पहले आपके घर में समस्याएँ बढ़ जाएं, घर के सदस्यों के बीच अनबन हो जाए, या किसी बात को लेकर झगड़े होने लगें, तो यह भी पितृदोष का संकेत माना जाता है।
पीपल का पौधा: यदि पितृपक्ष से पहले आपके घर के किसी कोने में पीपल का पौधा उगने लगे, तो इसका मतलब है कि पितरों को आपके माध्यम से मुक्ति चाहिए।
करियर और धन: अगर पितृपक्ष से पहले आपके करियर में समस्याएँ आ रही हैं, धन की हानि हो रही है, या संचित धन खर्च करने की स्थिति आ गई है, तो यह भी पितृदोष का संकेत हो सकता है।
पितृपक्ष के दौरान उपाय:
गीता का पाठ: पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष के दौरान गीता का पाठ करना चाहिए। गीता का पाठ करने से पितरों को मोह-माया के बंधनों से मुक्ति मिलती है और उन्हें शांति प्राप्त होती है। यह उपाय आपके जीवन में भी सुख और शांति ला सकता है।
पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करना: पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करने और उसके नीचे दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं। यह सरल उपाय पितृदोष से मुक्ति दिला सकता है।
तीर्थ स्थल पर तर्पण: अगर पितृदोष के कारण आपकी जीवन में बहुत समस्याएँ हैं, तो किसी तीर्थ स्थल पर जाकर पितृ तर्पण करवाना चाहिए। हरिद्वार, गया आदि जगहों पर जाकर आप यह कार्य कर सकते हैं।
श्राद्ध कर्म: पितरों की मृत्यु तिथि को जानकर उसी दिन श्राद्ध कर्म करना चाहिए, इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है।
ब्राह्मणों को भोजन और दान: पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना और जरूरतमंदों को यथासंभव दान देना शुभ माना गया है। यह पितृदोष से मुक्ति के लिए सहायक हो सकता है।
सूर्य देव को अर्घ्य देना: पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन सूर्य देव को जल में लाल फूल डालकर अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देते समय अपने कुल देवी-देवता का स्मरण भी करना चाहिए।
पशु-पक्षियों की सेवा: पशु-पक्षियों को भोजन कराना और उनकी सेवा करना भी पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए लाभकारी है।
इन उपायों को अपनाकर आप पितृपक्ष के दौरान अपने पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं और करियर के क्षेत्र में भी उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। पितृपक्ष के दौरान अपने मृत परिजनों का सम्मान और आदर करने से आपका जीवन सुधरने लगता है।
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