प्यासे हो, तो पैसा दो..! कांग्रेस सरकार ने बंद किया मुफ्त पानी, शौचालय भी गिनेगी

प्यासे हो, तो पैसा दो..! कांग्रेस सरकार ने बंद किया मुफ्त पानी, शौचालय भी गिनेगी
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शिमला: हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अब राज्य के आर्थिक संकट से निपटने के लिए टॉयलेट टैक्स लगाने का निर्णय लिया है। इसके तहत शहरी इलाकों में हर घर में शौचालयों की संख्या के आधार पर टैक्स वसूला जाएगा। जल शक्ति विभाग द्वारा तय किए गए इस नए सीवर टैक्स के मुताबिक, घरों में लगे प्रत्येक शौचालय पर ₹25 प्रति माह शुल्क लिया जाएगा। जितने शौचालय, उतना अधिक टैक्स। इस नए फैसले का मकसद राज्य की आय में वृद्धि करना है, जिससे सरकार का खजाना भरा जा सके। कांग्रेस सरकार के इस फैसले का सोशल मीडिया पर भी विरोध होने लगा है।

 

इसके अलावा, कांग्रेस सरकार ने पानी की दरों में भी बढ़ोतरी की है। ग्रामीण इलाकों में अब पानी की मुफ्त आपूर्ति बंद कर दी गई है। पहले भाजपा सरकार के तहत जो पानी मुफ्त में उपलब्ध था, अब उसके लिए हर ग्रामीण घर को ₹100 प्रति माह भुगतान करना होगा। शहरों में भी पानी की दरों में बदलाव किया गया है, खासकर गैर-घरेलू पानी कनेक्शन के लिए अधिक शुल्क निर्धारित किए गए हैं। साथ ही, पानी की दरों के साथ मेंटेनेंस चार्ज भी वसूला जाएगा। इस टैक्स और दरों में बदलाव के जरिए सुक्खू सरकार ने अपने खजाने को भरने की योजना बनाई है। यही नहीं, इससे पहले भी सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए ग्रीन टैक्स लगाया था, जो नए वाहनों की बिक्री पर लागू किया गया। वहीं, आयकर भरने वालों के लिए पहले दी जा रही 125 यूनिट मुफ्त बिजली की योजना को भी रद्द कर दिया गया है। उद्योगों को मिलने वाली ₹1 की सब्सिडी भी समाप्त कर दी गई है, जिससे उन्हें भी अतिरिक्त बोझ सहना पड़ रहा है।

इस बीच, हिमाचल प्रदेश की आर्थिक हालत बेहद खराब हो चुकी है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि सितंबर माह में राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को समय पर तनख्वाह और पेंशन तक नहीं दे पाई थी। कांग्रेस सरकार ने चुनावी वादों के तहत कई रेवड़ी योजनाओं की घोषणा की थी, लेकिन आर्थिक संकट के कारण उन्हें पूरा करने में सरकार नाकाम रही है। हिमाचल का मौजूदा बजट भी इस संकट को साफ तौर पर दिखाता है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पेश किया गया ₹58,444 करोड़ का बजट भी राज्य के राजकोषीय घाटे को कम नहीं कर पाया है। इस बजट का बड़ा हिस्सा तो केवल पुराने कर्ज चुकाने और कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन पर खर्च हो जाएगा। कुल बजट का लगभग 66% हिस्सा सिर्फ कर्ज, ब्याज, तनख्वाह और पेंशन पर खर्च हो रहा है, जिससे अन्य आवश्यक खर्चों के लिए सरकार के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचते।

 

पानी की दरों में बढ़ोतरी और शौचालय टैक्स के अलावा, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने डीजल पर भी एक झटके में ₹3 VAT बढ़ा दिया था। यह महंगाई ऐसे समय में बढ़ी है, जब कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी महंगाई के खिलाफ हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस की कथनी और करनी के बीच का यह फर्क जनता के सामने आता है, जब चुनावों में महंगाई के मुद्दे पर लड़ने वाली पार्टी सत्ता में आने के बाद टैक्स और कीमतें बढ़ाने में सबसे आगे होती है।

कर्नाटक में भी कांग्रेस सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर ₹3 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। इसके अलावा, नंदिनी दूध, बिजली के दाम, और अन्य कई आवश्यक वस्तुओं के दामों में भी बढ़ोतरी की गई थी। यह तमाम कदम कांग्रेस की नीति और वादों के विपरीत दिखाई देते हैं। इस निर्णय से हिमाचल प्रदेश के लोगों पर आर्थिक बोझ और बढ़ेगा, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां गरीब जनता को अब पानी के लिए भी भुगतान करना पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी जातिगत जनगणना की बात करती है, लेकिन अब वह यह भी गिनने जा रही है कि किस घर में कितने शौचालय हैं और हर टॉयलेट पर टैक्स वसूलेगी।

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