नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायिक आदेशों का पालन न करने पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है कि यदि वो आदेशों का पालन नहीं करते हैं और अपने अहंकार में रहते हैं, तो जनहित के मद्देनज़र उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है। दिल्ली HC ने सौरभ भारद्वाज को फटकार लगाते हुए कहा कि अदालत को वो अपनी सियासी लड़ाई में मोहरा न बनाए। उच्च न्यायालय ने कहा कि हम जज भले हैं और नेता नहीं हैं, मगर नेता कैसे सोचते हैं, ये बात हमें अच्छे से पता है।
दिल्ली HC सामाजिक कार्यकर्ता बेजोन कुमार मिश्रा द्वारा दाखिल PIL पर गुरुवार (21 मार्च) को सुनवाई कर रही है। इसी सुनवाई के दौरान पिछली तारीख में अदालत ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार को पेश होने के लिए कहा था। अब अदालत ने दोनों को जमकर लताड़ा है और कहा है कि दोनों जनता के सेवक हैं, ऐसे में अहंकार को अलग रखें और जनता के हित के हिसाब से फैसले लें। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो आवश्यकता पड़ने पर हम आप दोनों को जेल भेज देंगे और किसी तीसरे पक्ष को इस काम को करने को कहेंगे।
ये PIL इस बात के लिए दायर की गई थी कि दिल्ली में 20-25 हजार ऐसी पैथोलॉजी लैब खुली हैं, जो लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं। जनहित याचिका की ओर से अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने दलील दी। उन्होंने बताया है कि दिल्ली में अनधिकृत प्रयोगशालाएं और डायग्नोस्टिक केंद्र अयोग्य तकनीशियनों के साथ कार्य कर रहे थे और रोगियों को गलत रिपोर्ट दे रहे थे। दरअसल, सौरभ भारद्वादज ने अदालत में कहा था कि दिल्ली स्वास्थ्य विधेयक को मई 2022 में ही अंतिम रूप दे दिया गया था। न्यायालय ने सवाल किया कि इसे अभी तक मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास क्यों नहीं भेजा गया। अदालत ने कहा कि यदि इसमें वक़्त लगेगा, तो दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार के कानून- क्लिनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010 को लागू करने के बारे में सोचना चाहिए।
भारद्वाज की यह दलील कि अदालत की कृपा से सरकार को विधेयक को अधिनियमित करने में सहायता मिलेगी, से कोर्ट ने नाराजगी प्रकट की और कहा कि, “आपको लगता है कि हम इस खेल में एक मोहरा हैं और आप इसे रणनीति के रूप में इस्तेमाल करेंगे। हम किसी के मोहरे नहीं हैं। इस ग़लतफ़हमी को दूर करो कि तुम अदालत की प्रक्रिया का इस्तेमाल करोगे।”
उच्च न्यायालय ने लताड़ लगते हुए आगे कहा कि हमारे साथ ऐसा मत करो, नहीं तो तुम दोनों जेल जाओगे। यदि इससे आम आदमी को लाभ नहीं होगा, तो हमें तुम दोनों को जेल भेजने में कोई संकोच नहीं होगा। तुम दोनों बड़ा अहंकार नहीं कर सकते, तुम दोनों ही जनता के नौकर हो। अदालत ने कार्यवाही के दौरान कहा कि सरकार और आप दोनों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आम जनता को लाभ हो। आप क्या कर रहे हैं? लोगों को उनके खून के सैम्पल्स की गलत रिपोर्ट मिल रही है।
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