नहीं है दुर्गा सप्तशती के पाठ करने का समय, तो अपना लें ये उपाय

नहीं है दुर्गा सप्तशती के पाठ करने का समय, तो अपना लें ये उपाय
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नवरात्रि का त्योहार बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है तथा इसके चलते मां दुर्गा की उपासना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यदि आप इन 9 दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, तो इसका विशेष लाभ प्राप्त होता है। हालांकि, इसे विधि-विधान से करने में काफी समय लगता है। यदि कोई व्यक्ति चाहता है कि पूरे 9 दिनों तक यह पाठ किया जाए, तो इसमें काफी समय और मेहनत लगती है तथा कई लोगों के लिए काम के साथ इसका सामंजस्य बिठाना कठिन हो जाता है। इस स्थिति में, एक सरल उपाय हैं, जिससे इन समस्याओं का समाधान हो सकता है।

क्या है उपाय?
यदि आप चाहते हैं कि सुबह-सुबह देवी मां की कृपा के साथ दिन की शुरुआत हो तथा आप पूरे विधि-विधान से दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पा रहे हैं, तो आप "सिद्ध कुंजिका स्तोत्र" का जाप कर सकते हैं। इसे दुर्गा सप्तशती की चाबी माना जाता है तथा इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस पाठ की विशेषता यह है कि इसे पढ़ने से मारण, वशीकरण, उच्चाटन तथा स्तम्भन जैसे कई उद्देश्यों की पूर्ति एक साथ होती है।

॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥ सिद्ध कुंजिका स्त्रोत
”श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् येन मन्त्रप्रभावेण चण्डिजाप: शुभो भवेत् न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् पाठमात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि नमस्ते शुम्भहन्त्रयै च निशुम्भासुरघातिनि जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तुते चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि धां धीं धूं धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नम: अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धि कुरुष्व मे इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा”

ऐसे करें सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ
कुंजिका स्तोत्र पाठ को करने के भी कुछ नियम हैं. इसे ब्रह्म मुहूर्त में ही करना शुभ माना जाता है. नवरात्रि व गुप्त नवरात्रि में ये पाठ प्रतिदिन करना चाहिए. इससे माता रानी की कृपा भक्तों पर बरसती है. ब्रह्म मुहूर्त की बात करें तो इसका समय सूर्य उदय से 1 घंटा 36 मिनट पहले शुरू होता है तथा सूर्योदय से 48 मिनट पहले खत्म हो जाता है. वही बात यदि नवरात्रि की करें तो 2024 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्तूबर से थी और 11 अक्टूबर को नवमी होगी. इसके अतिरिक्त 12 अक्तूबर को विजय दशमी मनाई जाएगी.

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