चेन्नई: तमिलनाडु से एक बड़ी घटना सामने आ रही है यहाँ प्रवर्तन निदेशालय (ED) के एक अफसर को सरकारी कर्मचारी से 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह खबर सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) ने दी है। प्रवर्तन निदेशालय अफसर की गिरफ्तारी बड़े नाटकीय ढंग से हुई। तमिलनाडु पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ने के लिए कार से 8 किलोमीटर तक पीछा किया। डिंडीगुल में हिरासत में लिए जाने के पश्चात् डीवीएसी अफसरों के एक दल ने मदुरै में उप-क्षेत्र प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर में तहकीकात की। इस के चलते राज्य पुलिसकर्मी केंद्र सरकार के दफ्तर के बाहर तैनात थे। डीवीएसी की आधिकारिक विज्ञप्ति में गिरफ्तार अफसर की पहचान अंकित तिवारी के रूप में की गई है, जो केंद्र सरकार के मदुरै प्रवर्तन विभाग कार्यालय में प्रवर्तन अफसर के रूप में कार्यरत है।
DAVC अफसरों ने बताया, अंकित तिवारी ने प्रवर्तन निदेशालय अधिकारीयों के साथ अपनी एक टीम बनाई थी। वह लोगों को धमकाता था तथा उनसे रिश्वत ऐंठता था। तिवारी संदिग्ध आरोपियों को इस बात का आश्वासन भी देता था कि प्रवर्तन निदेशालय में उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा को बंद करवा देगा। रिपोर्ट के अनुसार, मदुरै में केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में जांच के संबंध में DAVC अफसर पहुंचे। इस के चलते भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों को अफसरों की सुरक्षा के लिहाज से तैनात किया गया था। डीवीएसी अफसरों ने आरोपी अंकित तिवारी को डिंडीगुल में 20 लाख नकद के साथ पकड़ा। अफसर पर निरंतर नजर रखी जा रही थी जिससे उसे घूस लेते हुए पकड़ा जा सके।
अंकित तिवारी 2016 बैच का ऑफिसर है। इससे पहले वह गुजरात एवं मध्य प्रदेश में भी काम कर चुका है। DVAC चेन्नई की तरफ से जारी आधिकारिक रिलीज के मुताबिक, तिवारी केंद्र सरकार के मदुरै प्रवर्तन विभाग दफ्तर में एक इंफोर्समेंट ऑफिसर के रूप में कार्यरत है। अक्टूबर में तिवारी ने डिंडीगुल के एक सरकारी डॉक्टर से संपर्क किया। प्रवर्तन निदेशालय अफसर ने उस जिले में उनके खिलाफ दर्ज विजिलेंस केस के बारे बताया जिसका पहले ही निपटा हो गया था। तिवारी ने डॉक्टर से कहा कि उनके खिलाफ जांच को लेकर प्रधानमंत्री ऑफिस से निर्देश मिला है। अफसर ने उनसे 30 अक्टूबर को मदुरै स्थित प्रवर्तन निदेशालय ऑफिस में पेश होने के लिए कहा।
वही जब डॉक्टर मदुरै ऑफिस पहुंचे तो तिवारी ने उनसे रिश्वत की मांग की। प्रवर्तन निदेशालय अफसर ने कहा कि यदि वे 3 करोड़ रुपये देंगे तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई रोकी जा सकती है। बाद में तिवारी ने कहा, 'मैंने अपने वरिष्ठ अफसरों से बात की है तथा उनके कहने पर मैं 51 लाख रुपये घूस के तौर पर लेने को तैयार हूं।' डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने 1 नवंबर को रिश्वत की पहली किस्त के तौर पर उसे 20 रुपये दिए। तत्पश्चात, तिवारी ने उन्हें कई बार ह्वाट्सऐप पर फोन कॉल्स और मैसेज किए जिसमें उसने कहा कि यदि पूरा पैसा नहीं दिया गया तो फिर नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।