'आपके पास बेहतर डील हो तो दिलवाएं..', रूस से तेल खरीदने पर बोले जयशंकर

'आपके पास बेहतर डील हो तो दिलवाएं..', रूस से तेल खरीदने पर बोले जयशंकर
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नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोहा फोरम के 22वें संस्करण में रूस-यूक्रेन संघर्ष और भारत की ऊर्जा नीति पर भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। उन्होंने इस मंच पर कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीदना इसलिए जारी रखा है क्योंकि यह देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक अनिवार्यता है। उन्होंने सवाल किया, "क्या दुनिया के पास भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोई बेहतर विकल्प है?" 

जयशंकर ने कहा कि रूस से तेल खरीदना कोई सस्ता सौदा नहीं है, बल्कि यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने के लिए एक जरूरी कदम है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि रूस अब भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है, जो देश के कुल तेल आयात का 35 प्रतिशत से अधिक हिस्सा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत की प्राथमिकता अपने नागरिकों के लिए ऊर्जा की उपलब्धता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। जयशंकर ने चर्चा के दौरान इस बात पर जोर दिया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को युद्धभूमि पर समाप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अंततः दोनों पक्षों को वार्ता की मेज पर लौटना होगा। भारत इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रहा है, चाहे वह राष्ट्रपति पुतिन से बात करना हो या राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से मुलाकात करना। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य दोनों पक्षों के बीच बातचीत को बढ़ावा देना और सहमति के सूत्र तलाशना है। 

हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत किसी शांति योजना की पेशकश नहीं कर रहा और न ही मध्यस्थता कर रहा है। भारत केवल बातचीत के जरिए समाधान की संभावनाओं को तलाशने में मदद कर रहा है। जयशंकर ने कहा कि भारत की भूमिका पारदर्शिता बनाए रखने और दोनों पक्षों को संवाद के लिए प्रेरित करने की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस साल की शुरुआत में कीव का दौरा किया था और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम मोदी ने भारत की शांति के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया। वहीं, ज़ेलेंस्की ने भारत से संतुलनकारी रवैया छोड़कर यूक्रेन का समर्थन करने की अपील की।

जयशंकर ने दोहा फोरम में यह भी कहा कि वैश्विक राजनीति में अब यथार्थवाद की ओर बढ़ने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि वार्ता और समाधान की आवश्यकता को स्वीकार करना युद्ध जारी रखने से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। जयशंकर का यह दृष्टिकोण इस बात को दर्शाता है कि भारत, अपने संतुलित दृष्टिकोण और ऊर्जा सुरक्षा की प्राथमिकताओं के साथ, वैश्विक शांति प्रयासों में एक सक्रिय भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है।

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