भारत में गाड़ियों के डैशबोर्ड पर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं या तस्वीरें रखना एक प्रचलित प्रथा है। यह परंपरा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि लोगों की सुरक्षा और सलामती के लिए भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब लोग अपनी गाड़ी में देवी-देवताओं की मूर्तियों या तस्वीरों को विराजमान करते हैं, तो उनका मानना होता है कि इससे यात्रा के दौरान सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हालांकि, अगर आपकी कार में भगवान की मूर्ति है, तो कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
वास्तु शास्त्र और देवी-देवताओं की मूर्तियां
वास्तु शास्त्र के अनुसार, जहां देवी-देवताओं की प्रतिमा या तस्वीर लगाई जाती है, वहां कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। इन नियमों का पालन न करने पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
शराब का सेवन: वास्तु जानकारों का मानना है कि गाड़ी में भगवान की मूर्ति रखने वाले व्यक्ति को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करना न केवल धार्मिक आस्था के खिलाफ है, बल्कि इससे नकारात्मक ऊर्जा भी आकर्षित हो सकती है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि गाड़ी में भगवान की प्रतिमा की उपस्थिति से जुड़ी सभी गतिविधियों को पवित्रता के साथ किया जाए।
स्वच्छता का ध्यान रखें: गाड़ी में भगवान की मूर्ति होने पर उस स्थान की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गंदगी से देवी-देवता नाराज हो सकते हैं, जिससे नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकता है। शास्त्रों में यह स्पष्ट कहा गया है कि भगवान की प्रतिमा के आस-पास की जगह को साफ और व्यवस्थित रखना आवश्यक है। नियमित रूप से उस स्थान को साफ करना और वहां फूल, अगरबत्ती या धूप जलाना शुभ माना जाता है।
मांस का सेवन: यदि गाड़ी में भगवान की मूर्ति या तस्वीर है, तो उसमें बैठकर कभी भी मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करना धार्मिक रूप से अपशकुन माना जाता है। इसे पाप के समान समझा जाता है और इससे व्यक्ति की आस्था प्रभावित हो सकती है।
इस प्रकार, गाड़ी में देवी-देवताओं की मूर्तियां या तस्वीरें रखने का अर्थ केवल धार्मिक आस्था नहीं है, बल्कि इसके साथ कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी जुड़ी हैं। यदि आप अपनी गाड़ी में भगवान की प्रतिमा रखते हैं, तो उनके प्रति सम्मान और पवित्रता बनाए रखना अनिवार्य है। यही नहीं, यह आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा का अनुभव दिला सकता है।
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