तेहरान: हाल ही में ईरान द्वारा इजरायल पर हमले के बाद आशंका है कि इजरायल जल्द ही ईरान पर जवाबी हमला कर सकता है। इस संभावित हमले को रोकने के लिए खाड़ी देश, जैसे सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अमेरिका पर दबाव डाल रहे हैं। इन देशों ने अमेरिका को अपनी चिंता जताते हुए कहा है कि अगर इजरायल ईरान के तेल ठिकानों पर हमला करता है, तो उनके अपने तेल ठिकाने ईरान समर्थित समूहों के हमलों का निशाना बन सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सऊदी अरब, यूएई और कतर सहित खाड़ी देशों ने अमेरिका को स्पष्ट कर दिया है कि वे इजरायल को अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग नहीं करने देंगे, अगर वह ईरान पर हमला करने के लिए उड़ान भरना चाहेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने 1 अक्टूबर को इजरायल पर लगभग 200 मिसाइलें दागी थीं, जिसके जवाब में इजरायल ने ईरान को सख्त परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। ईरान ने भी पलटकर कहा कि अगर इजरायल ने कार्रवाई की, तो ईरान का जवाब बेहद विनाशकारी होगा। इससे क्षेत्र में एक बड़े युद्ध की संभावना बढ़ गई है, जिसका असर अमेरिका पर भी पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार, ईरान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में बैठकों में ईरान ने सऊदी अरब को चेतावनी दी कि अगर उसने इजरायल को किसी भी तरह की मदद दी, तो वह उसके तेल ठिकानों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता। सऊदी विश्लेषक अली शिहाबी ने कहा कि ईरानियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर खाड़ी देश इजरायल के लिए अपना हवाई क्षेत्र खोलता है, तो इसे युद्ध की कार्रवाई समझा जाएगा। एक ईरानी राजनयिक ने यह भी कहा कि अगर क्षेत्रीय देशों ने इजरायल का समर्थन किया, तो ईरान के सहयोगी देशों जैसे इराक या यमन से जवाबी कार्रवाई हो सकती है। यमन के हूती विद्रोही पहले भी सऊदी के तेल ठिकानों को निशाना बना चुके हैं, जिससे सऊदी को नुकसान हुआ है।
बुधवार को ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच एक बैठक हुई, जिसमें संभावित इजरायली हमले पर चर्चा की गई। अराक्ची खाड़ी देशों का दौरा कर समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे थे। सऊदी अरब, जो पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) का एक प्रमुख सदस्य है, के पास कच्चे तेल की अतिरिक्त आपूर्ति की क्षमता है। अगर इजरायल ईरान के तेल ठिकानों पर हमला करता है और ईरानी तेल की आपूर्ति रुकती है, तो सऊदी अरब इसकी क्षति को कम करने में मदद कर सकता है।
हालांकि, अगर सऊदी अरब और यूएई के तेल ठिकानों पर हमला होता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। सऊदी अरब को विशेष चिंता है क्योंकि 2019 में उसकी तेल कंपनी अरामको पर हमला हुआ था, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति का 5% से अधिक हिस्सा बंद हो गया था। ईरान ने इस हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया था, लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए सऊदी अपने तेल ठिकानों की सुरक्षा को लेकर सतर्क है।
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