ज्योतिष की माने तो व्यक्ति के जीवन में जो भी घटनाएं घटती है, चाहे वह शुभ हो या अशुभ सभी घटनाओं का सम्बन्ध ग्रहों की दशा पर निर्भर करता है. यदि व्यक्ति की राशि में ग्रह सही दशा में होते है, तो इनका प्रभाव शुभ होता है, लेकिन यदि ये गलत दशा में हों, तो इसके अशुभ परिणाम भी व्यक्ति को भोगना पड़ता है. इन ग्रहों में सबसे अधिक प्रभाव व्यक्ति के ऊपर सूर्य व चन्द्र ग्रह का होता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य दोष होता है तो उसे कई प्रकार के असाध्य रोगों जैसे सिरदर्द, बुखार, नेत्र से सम्बंधित रोग आदि का सामना करना पड़ता है. साथ ही उसे कर विभाग से परेशानी व नौकरी सम्बंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.
यदि व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र ग्रह दोष होता है, तो व्यक्ति को सर्दी, जुखाम, पेट से सम्बंधित रोग, किसी से शत्रुता, धन हानि, तनाव और मानसिक रोग आदि का सामना करना पड़ता है.
शास्त्रों के अनुसार यदि व्यक्ति सूर्य या चंद्रमा को देखता है, तो यह उसके लिए अशुभ होता है, इससे उसे नेत्र संबंधी रोगों का सामना करना पड़ता है और यदि सूर्योदय को देखता है, तो ये उसके लिए लाभदायक होता है.
शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति को सूर्योदय के पूर्व ही सोकर उठ जाना चाहिए और उनके दर्शन करना चाहिए. जो व्यक्ति सूर्योदय होने के बाद भी सोते रहता है, उन्हें माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है. व उनका सम्पूर्ण दिन भी आलस्य के साथ व्यतीत होता है.
सभी नवग्रहों में चंद्रमा का द्वितीय स्थान है महाभारत में कहा गया है कि यदि व्यक्ति पूर्णिमा के दिन तांबे के बर्तन में शहद से निर्मित व्यंजन बनाकर चंद्रदेव को अर्पित किया जाता है तो इससे चंद्रदेव को तृप्ति प्राप्त होती है.
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