भारतीय संस्कृति और धर्म में व्रत को ख़ास महत्व दिया जाता हैं हर किसी के व्रत रखने की अपनी एक अलग पद्धति होती हैं. बता दें कि 16 जून शनिवार यानी आज ज्येष्ठ शुक्ल की तृतीया तिथि है. कहा जाता हैं कि इस दिन स्वर्ग की अप्सरा रम्भा के निमित्त व्रत रखने का विधान हैं इसलिए माना गया हैं कि इस दिन हर सुहागन महिलाएं अटल सौभाग्य और कुशाग्र बुद्धि वाली संतान के लिए व्रत रखती हैं.
कहा जाता हैं कि जिनका विवाह नहीं हुआ हैं वे लडकियां इस दिन कुशाग्र बुद्धि वाली संतान की कामना कर सकती हैं, तो चलिए जानते हैं कि क्या हैं इस व्रत की ख़ास विधि.. पूजा शुरू करने से पहले सुहागन स्त्री को स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्यदेव के समक्ष दीपक लगाएं, फिर पूजा में गेहूं, अनाज और फूल लेकर महालक्ष्मी का पूजन करें.
इस दौरान आप ॐ महाकाल्यै नम:, ॐ महालक्ष्म्यै नम:, ॐ महासरस्वत्यै नम: आदि मंत्रों का जाप करें. इसके अलावा ये भी बताया गया हैं कि इस दिन चूड़ियों के जोड़े की पूजा की जाती हैं. कहा जाता हैं कि चूड़ियां अप्सरा रम्भा और देवी लक्ष्मी का प्रतीक हैं. इस व्रत को रखने से संतान बुद्धिमान पैदा होती हैं और लड़कियों को एक अच्छा जीवनसाथी मिलता हैं.
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