आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में बच्चों के लिए मानसिक तनाव और एंजाइटी आम हो गए हैं। पढ़ाई का दबाव और साथियों से पीछे न छूटने की चिंता बच्चों को परेशान कर सकती है। अकेलापन बढ़ गया है। इसके साथ ही दुनिया में मुकाबला भी काफी बढ़ा है। यही वजह है आज के इस बदले हुए दौर में बड़ों के साथ-साथ छोटे बच्चे भी एंजाइटी का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में पेरेंट्स की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
बच्चों की समस्याओं को समझें
बच्चों से खुलकर बातचीत करना ज़रूरी है। उनसे बैठकर बात करें और उनकी समस्याओं को समझें। उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि आप हर परिस्थिति में उनके साथ हैं। यह भावनात्मक सपोर्ट बच्चों की मानसिक सेहत के लिए लाभदायक होता है।
बच्चों की हरकतों पर ध्यान दें
बच्चों में तनाव के संकेत जैसे चिड़चिड़ापन, अत्यधिक चुप्पी या पसंदीदा चीजों से दूरी बनाना दिखाई दे सकते हैं। इन संकेतों पर ध्यान दें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।
ध्यान से सुनें
जब बच्चे अपनी समस्याएं साझा करें, तो उन्हें ध्यान से सुनें। उनके लिए एक सहायक बनें ताकि वे खुलकर अपनी बातें कह सकें। उनकी समस्याओं का समाधान करने में मदद करें।
मोटिवेशन के साथ हीलिंग
बच्चे छोटी-छोटी बातों पर चिंतित हो सकते हैं। ऐसे में डांटने के बजाय प्यार से समझाएं। उनकी गलतियों को स्वीकार करने पर सराहें, ताकि वे भविष्य में अपनी समस्याएं आपसे साझा करने में संकोच न करें।
बच्चों की मानसिक सेहत पर ध्यान देना आवश्यक है। उनकी भावनाओं को समझकर और उन्हें प्यार और समर्थन देकर हम उनकी एंजाइटी और स्ट्रेस को कम कर सकते हैं।
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