आज के समय में ऐसे बहुत ही कम लोग है जिनके पास सोना चांदी या कोई कीमती सामान न हो, वैसे घर में मूल्यवान, गहने रखना सेफ नहीं होता है, यही सोचकर लोग बैंक लॉकर में अपनी कीमती चीज रखने का निर्णय कर लेते है. लेकिन यदि इन लॉकर में भी किसी तरह की चोरी हो जाए तो लोग क्या कर सकते है. ऐसी ही एक घटना लखनऊ से भी सामने आई है जिसने हर किसी के होश उड़ा दिए है.
यूपी की राजधानी लखनऊ के चिनहट क्षेत्र में चोर इंडियन ओवरसीज बैंक की एक ब्रांच में दीवार काटकर अंदर घुस गए और फिर 42 लॉकर तोड़ डाले. चोर करोड़ों के जेवर और उसमे रखी हुई ग्राहकों की कीमती चीजें भी उड़ा कर ले गए . अब इस पूरे मामले की कार्रवाई यूपी की STF के हाथों सौंप दी गई है, और अब STF की टीम इसकी कार्रवाई कर रहे है, लेकिन प्रश्न तो ये है कि यदि बैंक की लाकर में रखे हुए आपके किसी भी प्रकार के गहने चोरी हो जाए तो उसका क्या होगा और क्या आपको उसकी कीमत वापस मिलेगी? यदि ये कीमत मिल भी जाती है तो कितनी होगी? इस बारे में नियम क्या कहते हैं? चलिए जानते है...
आखिर कितना होता है एक लाकर का किराया: अधिकांश बैंक कीमती सामान या फिर किसी भी तरह के गहने रखने के लिए लॉकर ग्राहकों को दिए जाते है. ये बैंकों के सभी शाखाओं में ये सुविधा नहीं दी जाती. वे इसे कुछ ही शाखाओं पर सुरक्षा कारणों की वजह से शुरू करवाते है. जहां लोग अपने सामान सुरक्षित रखते है और उस लॉकर का एक निश्चित किराया प्रति वर्ष बैंक को देते है. अब सोचने वाली बात तो ये है कि लॉकर का किराया कितना होता होगा, ये इस पर निर्भर करता है कि लॉकर कितना बड़ा है, साथ ही, बैंक का लॉकर वाला ब्रांच किस स्थान पर है.
एग्रीमेंट में ही बता दी जाती है सारी बातें: वित्तीय वर्ष की शुरूआत ही में बैंक लॉकर का किराया लोगों से ले लिया जाता है. इतना ही नहीं लोगों को भी इस बात की जानकारी है कि लॉकर रखने के लिहाज से उनके पास किस तरह के अधिकार और जिम्मेदारियां भी बता दी जाती है, एक लॉकर एग्रीमेंट भी साइन करवाता है. इतना ही नहीं इस एग्रीमेंट पर बैंक और कस्टमर दोनों के सिग्नेचर भी होते है. बीते वर्ष ही RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने एक नया लॉकर एग्रीमेंट जारी करने के लिए भी बोला जाता है, जो बैंकों ने जारी भी कर दिया था.
चोरी हुई तो बैंक ग्राहकों को देता है कितने पैसे?: नियमों की मान तो, लापरवाही के कारण से लॉकर में रखी गई किसी भी चीज के साथ होने वाली हानि का बैंक जवाबदेह बन जाता है. उससे ये उम्मीद की जाने लगती है कि वह अपने लॉकर के रखरखाव और संचालन में उचित सावधानी बरतना होता है. इन सभी बातों के बाद भी यदि लॉकर अगर लॉकर वाले बैंक में आगजनी, चोरी, सेंधमारी, डकैती, इमारत ढहने के मामले होते हैं तो बैंक को मुआवजा देना अनिवार्य हो जाता है. अब सवाल है कितना. खबरों का कहना है कि जो भी लॉकर का किराया होता है, बैंक उसका सौ गुना पैसा लोगों को अदा करने का काम करता है. चाहें लॉकर में इस से ज्यादा की संपत्ति हो या फिर कम की. उदहारण के तौर पर यदि आपके लॉकर का रेंट 1 हजार रूपये है तो बैंक 1 लाख रूपये आपकी चोरी हुई संपत्ति में बदलने का काम करेगा. यहाँ इस बात का भी ध्यान देना होता है कि यदि आप प्राकृतिक आपदा, आतंकवादी हमला, दंगे ये फिर शहर में विरोध-प्रदर्शन के दौरान लॉकर को भी बड़ी हानि होती है तो बैंक मुआवजा नहीं देता. एक चीज और, लॉकर की चीजों का इंश्योरेंस नहीं मिलता. इतना ही नहीं लॉकर में आप ज्वेलरी, लोन, इंश्योरेंस पॉलिसी के पेपर रख सकते हैं. मगर नोट, दवाएं, हथियार, जरूरी कागजात, बर्थ और मैरिज सर्टिफिकेट्स, विस्फोटक, सड़ने वाली चीजें, जहरीला सामान नहीं रख सकते.