देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चलन में लाने के लिए सरकार पूरी प्रकार से एक्टिव है, हालांकि बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने का मार्ग अभी लंबा है. किन्तु देश में इलेक्ट्रिक वाहन तथा उनकी बैटरी को लेकर शोध लगातार जारी है. बता दें, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे तथा शिव नादर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक जॉइंट टीम नई टेक्नोलॉजी को लेकर आए हैं. जिससे पर्यावरण के अनुकूल लिथियम-सल्फर (Li-S) बैटरी का उत्पादन हो पाएगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं का कहना है कि वैश्विक ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे फेमस बैटरी लिथियम आयन बैटरी की अपेक्षा में तीन गुना तक ज्यादा ऊर्जा देने में सक्षम होगी. यह Li-S बैटरी पेट्रोलियम रसायन के उत्पादों जैसे सल्फर, कृषि- वेस्ट तत्वों आदि का उपयोग करके बनाई जाएंगी.
वही शिव नादर विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर बिमलेश लोखब ने कहा कि, "यह शोध एक समाधान तलाशने के लिए हरित रसायन विज्ञान के सिद्धांतों पर ध्यान डालता है, जो उद्योगों तथा पर्यावरण की जरूरतों को एक साथ संबोधित करता है. इससे बनने वाली बैटरी तीन गुना ज्यादा ऊर्जा क्षमता के साथ सुरक्षित टेक्नोलॉजी, कई डोमेन में स्वच्छ है." आगे बताते हुए उन्होंने कहा, "एक्साम्प्ल के लिए वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग होने वाली लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल करके इलेक्ट्रिक कार की रेंज 400 किमी तक दी जाती है. वही फिलहाल शोध लगातार किया जा रहा है.
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