जयपुर: राजस्थान में पिछले छह महीने से अवैध डीजल की ब्रिकी का कारोबार तेजी से बढ़ा है. जिसका नुकसान पेट्रोल पंप मालिकों, राज्य सरकार और तेल कंपनियों को उठाना पड़ रहा है. अब राज्य सरकार बायोडीजल के नाम पर राज्य में अवैध डीजल और अन्य तरह का तेल बगैर लाइसेंस के बेचने वालों के खिलाफ सख्त हो गई है.
सरकार ने तीनों तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, HPCL और BPCL अधिकारियों के साथ बैठक करके राज्य में डोर टू डोर आपूर्ति की जा रही डीजल की मोबाइल डिस्पेंसर यूनिट की लिस्ट मांगी है. भविष्य में अब तेल कंपनियों के मोबाइल डिस्पेंसर के लाइसेंस जारी करने के बाद उनकी क्षमता का सत्यापन राज्य का विधिक माप विज्ञान विभाग करेगा. तेल कंपनियों को मोबाइल डिस्पेंसर यूनिट की जानकारी सूबे के खाद्य विभाग, पुलिस और गृह विभाग के पास जमा करनी होगी.
पिछले साल पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा औद्योगिक एवं खनन क्षेत्रों में डीजल की मांग को पूरा करने के लिए तेल कंपनियों के जरिए डोर टू डोर डीजल डिलीवरी की सुविधा शुरू की गई थी, मगर केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी राज्य सरकार के साथ साझा नहीं की गई. नतीजन राज्य की एजेंसियों में वैध और अवैध डीजल बिक्री को लेकर खींचतान की स्थिति बनी रही. दरअसल बायोडीजल की आड़ में दूसरे राज्यों से सस्ता डीजल और अन्य तरह का ईंधन लाकर बेचा जा रहा है जो बाजार से 15 से 20 रुपए सस्ता पड़ रहा है.
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