शिमला: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में एक विवाद सामने आया है, जिसमें स्थानीय मुस्लिम समुदाय पर अवैध तरीके से बच्चों के पार्क की जगह पर मजार बनाने का आरोप लगाया गया है। स्थानीय हिंदू संगठनों ने इस मजार को जल्द से जल्द खाली करने की मांग करते हुए अल्टीमेटम जारी किया है।
देवभूमि संघर्ष समिति का दावा है कि जिस स्थान पर मजार बनाई गई है, वह 1995 में बच्चों के पार्क के लिए आवंटित की गई थी, जिसके बदले में मुस्लिम समुदाय को दूसरी जगह जमीन दी गई थी। समिति का कहना है कि इस समझौते का उल्लंघन करते हुए उस जगह पर मजार का निर्माण किया गया है, जिससे यह आरोप लगाया जा रहा है कि अवैध कब्जा किया गया है। समिति ने इस मुद्दे पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
इससे पहले, हिमाचल प्रदेश के शिमला और मंडी में भी अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, जिसमें अवैध मस्जिदों को गिराने का आदेश दिया गया। शिमला में तोड़फोड़ का काम शुरू हो गया है, जबकि मंडी में मस्जिद का पानी और बिजली काट दी गई है। इन घटनाओं को देखते हुए सवाल उठता है कि कांग्रेस शासित राज्य में इस तरह की घटनाएँ क्यों बढ़ रही हैं? क्या राज्य सरकार इन अवैध निर्माणों के खिलाफ प्रभावी कदम उठा रही है?
राज्य में इस तरह के विवादों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है, क्योंकि यह न केवल धार्मिक सौहार्द को प्रभावित करता है, बल्कि स्थानीय समुदायों के बीच तनाव भी पैदा कर सकता है। कांग्रेस की सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में निष्पक्षता के साथ कार्रवाई करे और सभी समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हुए एक ऐसा वातावरण बनाए, जिसमें शांति और सौहार्द बना रहे।
राज्य सरकार को अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए एक ठोस नीति बनानी चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसे विवाद न हों। इसके लिए न केवल कानून के अनुसार कार्रवाई जरूरी है, बल्कि स्थानीय स्तर पर संवाद और सामंजस्य भी आवश्यक है। सभी समुदायों के साथ मिलकर काम करने से ही इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है और समाज में एकता बनाए रखी जा सकती है।
नाबालिग मुस्लिम ने भगवान राम-सीता पर की अभद्र टिप्पणी, गुजरात में माहौल बिगाड़ने की कोशिश
दिल्ली में कचरा ठिकाने लगाने की जगह भी नहीं, कूड़ों के पहाड़ से परेशान लोग
जिस सीट से अखिलेश ने दिया इस्तीफा, वहां से भाजपा ने उनके जीजा को उतारा