अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद स्थित जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने मुस्लिम औरतों को चुनाव का टिकट मिलने पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा था कि अगर मुस्लिम औरतों का सबके सामने आना जायज होता, तो उन्हें मस्जिद में आने से नहीं रोका जाता। अब शाही इमाम के इस बयान का विरोध करते हुए देवबंद के मौलाना राव मुशर्रफ ने विस्तार में बताया है कि आखिर औरतें मस्जिद में क्यों नहीं जाती हैं। बता दें कि, मौलाना मुशर्रफ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के जिला संयोजक हैं।
मौलाना राव मुशर्रफ ने बताया कि, मुस्लिम औरतें मस्जिद में जा सकती हैं। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद न जाने का कारण, इमामों द्वारा छेड़छाड़ और उनके शागिर्दों द्वारा रेप की कोशिश करना बताया है। वहीं, देवबंद के ही एक अन्य उलेमा कारी इशहाक ने भी जामा मस्जिद के इमाम के बयान को चुनावी बयान कहा है। बता दें कि, बीते दिनों शाही इमाम मौलाना शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने मस्जिद में औरतों के आने को हराम कहा था। इसके जवाब में मौलाना राव मुशर्रफ ने कहा है कि मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर कभी भी रोक नहीं रही है। मुशर्रफ के अनुसार, जब औरतें पुरुषों के साथ हज पर जा सकती हैं, तो वो मस्जिद के अंदर क्यों नहीं जा सकतीं। शाही इमाम शब्बीर के बयान की निंदा करते हुए राव मुशर्रफ ने कहा कि कुरान और हदीस में कहीं भी औरतों को मस्जिद में जाने से नहीं रोका गया है। रिपोर्ट के अनुसार, राव मुशर्रफ ने कहा कि, 'मुस्लिम महिलाओं ने मस्जिद में जाना इसलिए बंद कर दिया था, क्योंकि मस्जिद के इमाम उनके साथ छेड़खानी करते थे और उनके शागिर्द महिलाओं का रेप करने की कोशिश करते थे।' उन्होंने बेनजीर भुट्टो और शेख हसीना की मिसाल देते हुए कहा कि यदि इस्लाम में औरतों को बराबर अधिकार न होता, तो ये दोनों महिलाएँ PM कैसे बन पातीं।
राव मुशर्रफ ने इमाम शब्बीर के बयान को भड़काऊ करार देते हुए उसे रूढ़िवादी और अलगाववादी ठहराया है। उन्होंने कहा कि इमाम शब्बीर जैसे लोगों की बयानबाजी पर रोक लगाई जानी चाहिए। मुशर्रफ ने कहा कि, भारत का क़ानून भी औरतों को बराबरी का अधिकार देता है। मुस्लिम महिलाओं को मतदान करने से लेकर चुनाव लड़ने तक का अधिकार है। वहीं, देवबंद के ही कारी इश्हाक गोरा ने शाही इमाम शब्बीर के बयान को बेतुका करार दिया है। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि इमाम शब्बीर कोई भी इस्लामी जानकारी किसी के बयानों के बजाए मुफ्तियों से लिखित रूप में प्राप्त करें। कारी इश्हाक के अनुसार, इमाम के ऐसे बयानों ने बेवजह का मुद्दा खड़ा किया है। इश्हाक जमीयत दावातुल मुसलीमीन के संरक्षक भी हैं।
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