नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून सोमवार यानी बीते दिन पूरे देश से विदा हो गया, इसके चलते यह 1975 के बाद से सातवां सबसे देरी से वापसी करने वाला मानसून बन गया. दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्र को प्रभावित करने वाला पूर्वोत्तर मानसून दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत में आरंभ हो चुका है.
इसके साथ ही निचले क्षोभमंडल स्तरों में उत्तर-पूर्वी हवाओं की स्थापना के साथ, पूर्वोत्तर मानसून की वर्षा आज चरम दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में आरंभ हो गई है. IMD ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 2021 का पूरे देश से विदा होना 1975-2021 के दौरान (25 अक्टूबर को या उसके बाद) सातवीं सबसे विलंबित वापसी है. गत वर्ष 28 अक्टूबर को दक्षिण-पश्चिम मानसून देश से पूरी तरह से लौर गया था. वर्ष 2017 में 25 अक्टूबर, 2016 में 28 अक्टूबर, 2010 में 29 अक्टूबर, 2000 में 25 अक्टूबर और 1975 में 27 अक्टूबर को मानसून की विदाई हुई थी.
IMD पुणे में वैज्ञानिक और जलवायु अनुसंधान और सेवाओं के चीफ डीएस पाई ने कहा कि विगत 10 वर्षों में देश से मानसून की वापसी में देरी हुई है. दक्षिण-पश्चिम मानसून को 15 अक्टूबर के आसपास देश से लौट जाना चाहिए और पूर्वोत्तर मानसून 20 अक्टूबर तक प्रायद्वीपीय भारत में आरंभ हो जाना चाहिए मगर, इसमें देरी हुई है. इसे उत्तरी गोलार्ध में लंबी गर्मी से जोड़ा जा सकता है. यह जलवायु परिवर्तन से भी संबंधित है, जिसे इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने भी अपनी ताजा रिपोर्ट में मान्यता दी है.
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