आइएमएफ ने वैश्विक आर्थिक विकास दर को लेकर जताई यह आशंका, भारत भी इसके लपेटे में

आइएमएफ ने वैश्विक आर्थिक विकास दर को लेकर जताई यह आशंका, भारत भी इसके लपेटे में
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वाशिंगटनः भारत में आर्थिक सुस्ती को लेकर यहां के उद्योग-धंधे परेशान हैं। सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद भी इससे अभी तक निपट नहीं पाई है। इसके पीछे वैश्विक अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती को भी माना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानि आइएमएफ की नई चीफ क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने बताया कि इन दिनों पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। जॉर्जीवा के अनुसार इस बात की पूरी आशंका है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर दशक के सबसे निचले स्तर पर आ जाए। आइएमएफ की एमडी के मुताबिक भारत जैसे देशों पर इसका असर साफ नजर आ रहा है।

वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर पांच फीसद रह गई। हाल ही में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास की दर का अनुमान 6.9 से घटाकर 6.1 फीसद कर दिया है। घटती वृद्घि दर पर लगाम लगाने के लिए सरकार और आरबीआइ की तरफ से तमाम कोशिशें की जा रही हैं। आइएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर के अनुमान में 0.30 फीसद की कटौती की है। आइएमएफ ने विकास दर का अनुमान अब सात फीसद कर दिया है। जानकारों के मुताबिक घरेलू मांग में आई कमी की वजह से ऐसा किया गया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर छाई सुस्ती को चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर को भी माना जा रहा है। 

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