कोरोना संक्रमण के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ (IMF) ने कर्ज के बोझ से जूझ रहे पाकिस्तान को अपने सरकारी कर्मचारियों का वेतन स्थिर रखने और नए बजट में प्राथमिक घाटा कम रखने के लिए कहा है. पाकिस्तान के स्थानीय अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमएफ पाकिस्तान से जोर देकर राजकोषीय हालत को सुधारने के लिए कदम उठाने के लिए कह रहा है, लेकिन पाकिस्तान के लिए आइएमएफ के कहे पर चलना मुश्किल हो रहा है. गौरतलब है कि पाकिस्तान सार्वजनिक कर्ज के बोझ से जूझ रहा है. पाकिस्तान का सार्वजनिक कर्ज उसकी इकोनॉमी के आकार के 90 फीसद पर पहुंच चुका है.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के सार्वजनिक कर्ज में अधिक वृद्धि और उसके जी-20 देशों से कर्ज से राहत मांगने के निर्णय के बाद आईएमएफ ने पाकिस्तान से सरकारी कर्मचारियों की सैलरी को स्थिर करने के लिए कहा है. पाकिस्तानी सरकार आईएमएफ की इस मांग को मानने को तैयार नहीं है और इसका विरोध कर रही है. पाकिस्तानी सरकार का मानना है कि देश में दिनों-दिन बढ़ती महंगाई से लोगों की वास्तविक आय खत्म हो गई है. हालांकि, पाक सरकार करीब 67 हजार पदों को खत्म करने को राजी हुई है. ये वे पद हैं, जो एक साल से भी ज्यादा समय से खाली चल रहे थे. साथ ही पाक सरकार वाहनों की खरीद सहित कई दूसरे खर्चों को कम करने के लिए राजी हुई है.
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इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष चाहता है कि पाकिस्तान सरकार नए बजट में प्राथमिक बजट घाटे के लक्ष्य की घोषणा करे. पाकिस्तान 12 जून को बजट पेश करने जा रहा है. आईएमएफ की मांग है कि पाकिस्तान प्राथमिक बजट घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का सिर्फ 0.4 फीसद अर्थात 184 अरब रुपये रखे. वहीं, पाकिस्तानी सरकार ने इसे जीडीपी के 1.9 फीसद या 875 अरब रुपये रखने का प्रस्ताव रखा है. वही यह बजट ऐसे समय में पेश हो रहा है जब मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के कारण आने वाले वित्त वर्ष में भी राजस्व संग्रह में तेजी आने की संभावना नजर नहीं आ रही है. रिपोर्ट के अनुसार, महंगाई के बहुत अधिक बढ़ जाने के चलते पाकिस्तान सरकार अपने कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने की तैयारी कर रही है.
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