मुंबई: भारतीय बाज़ार पर अमेरिकी मंदी का असर दिखने लगा है। सेंसेक्स और निफ्टी में आज लगातार दूसरे सत्र में भारी गिरावट देखी गई। इस गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में 18 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई, जिससे बाजार मूल्यांकन पिछले सत्र के 457.16 लाख करोड़ रुपये से घटकर 443.29 लाख करोड़ रुपये हो गया।
दोपहर करीब 12:09 बजे एसएंडपी BSE सेंसेक्स 2,345 अंक गिरकर 78,636.37 पर था, जबकि NSE निफ्टी 698.70 अंक गिरकर 24,019 पर कारोबार कर रहा था। बाजार में गिरावट व्यापक थी, छोटे और मध्यम आकार के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। सत्र के दौरान कई शीर्ष मल्टीबैगर शेयरों में तेज गिरावट आई। वैश्विक बाजार में अनिश्चितता के कारण अस्थिरता बढ़ गई। सभी प्रमुख क्षेत्रीय सूचकांकों में रियल्टी, आईटी, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के शेयरों में भारी गिरावट आई।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी रोजगार आंकड़ों के कारण वैश्विक स्तर पर बिकवाली हुई और यही आज सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट का मुख्य कारण था। उन्होंने बताया कि जुलाई में रोजगार सृजन में गिरावट तथा अमेरिका में बेरोजगारी दर के 4.3% तक बढ़ जाने के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था की नरम गति की उम्मीदें अब खतरे में पड़ गई हैं। विजयकुमार ने कहा कि मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव भी बाजार की आशंकाओं को बढ़ा रहा है।
एक और महत्वपूर्ण कारक येन कैरी ट्रेड का बंद होना है, जिसने जापानी बाजार पर काफी प्रभाव डाला है। आज सुबह निक्केई इंडेक्स में 4% से अधिक की गिरावट जापानी बाजार में संकट का संकेत देती है। विजयकुमार ने यह भी बताया कि भारत में मूल्यांकन उच्च बना हुआ है, खासकर मिड और स्मॉलकैप सेगमेंट में, जो मुख्य रूप से निरंतर तरलता प्रवाह द्वारा संचालित है। रक्षा और रेलवे जैसे अधिक मूल्य वाले क्षेत्रों पर दबाव पड़ने की उम्मीद है। उन्होंने निवेशकों को इस सुधार के दौरान खरीदारी करने की जल्दबाजी न करने और बाजार के स्थिर होने का इंतजार करने की सलाह दी।
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