हरतालिका तीज व्रत में बेहद खास है बांस के टोकरे का महत्व

हरतालिका तीज व्रत में बेहद खास है बांस के टोकरे का महत्व
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हरतालिका तीज भारतीय त्योहारों में से एक है, जिसका विशेष महत्व सुहागिन महिलाओं के लिए है। यह व्रत उन्हें अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है और उनके पति पर आने वाले संकटों को दूर करने की मान्यता है। इस साल, हरतालिका तीज 6 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष पूजा अर्चना के साथ एक अनूठी परंपरा भी निभाई जाती है, जिसे ‘फूलेरा’ (phulera) के नाम से जाना जाता है।

फूलेरा की परंपरा का महत्व:
हरतालिका तीज पर ‘फूलेरा’ बनाने की परंपरा प्रकृति के प्रति समर्पण और देवी पार्वती के प्रति श्रद्धा को दर्शाती है। इस परंपरा के अनुसार, महिलाएं बास की टोकरी में विभिन्न फूलों को एकत्र करती हैं और सजाती हैं। फूलों के माध्यम से देवी पार्वती को प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है। यह परंपरा यह भी याद दिलाती है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव की उपासना के दौरान वन में मिलने वाले फूलों से फूलेरा तैयार किया था।

फूलेरा बनाने की प्रक्रिया:
फूलेरा बनाने के लिए महिलाएं जंगली फूलों और पत्तियों को एकत्र करती हैं। इनमें प्रमुख फूलों में कमल, गेंदा, चमेली, गुलाब, और तुलसी शामिल हैं। इन फूलों को बास की टोकरी में सजाया जाता है।

कमल: यह फूल पवित्रता और दिव्य सुंदरता का प्रतीक है। इसे चढ़ाने से देवी से सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गेंदा: गेंदा अपने चमकीले रंगों और खुशी के प्रतीक के लिए जाना जाता है। इसे बास की टोकरी में अवश्य रखना चाहिए।

चमेली: चमेली के फूल प्रेम और सुंदरता के प्रतीक होते हैं। इन्हें चढ़ाने से विवाहित जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।

गुलाब: गुलाब, विशेषकर लाल रंग का, गहरे प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। देवी को गुलाब अर्पित करने से सच्ची भक्ति की अभिव्यक्ति होती है।

तुलसी: तुलसी के पत्ते पवित्रता और आध्यात्मिक भक्ति के प्रतीक होते हैं। इन्हें भी बास की टोकरी में शामिल किया जाता है।

हरतालिका तीज की पूजा:
फूलेरा को देवी पार्वती की मूर्ति या छवि के सामने रखा जाता है। कई स्थानों पर इसका सुंदर मंढप भी तैयार किया जाता है, जो महिलाएं अपने पति के सुख और वैवाहिक आनंद के लिए बनाती हैं। यह परंपरा हिंदू अनुष्ठानों में प्रकृति के महत्व को भी दर्शाती है और पूजा में समर्पण और प्रयास को महत्व देती है।

हरतालिका तीज पर फूलेरा की यह परंपरा केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह देवी पार्वती के प्रति आस्था और श्रद्धा को भी दर्शाती है। प्रत्येक फूल का अपना विशेष महत्व है, जो त्योहार की आध्यात्मिक समृद्धि को बढ़ाता है।

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