आज से शुरू हो रहे छठ पर्व के लिए तैयारियां शुरू हो गई है. छठ पूजा बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश में धूमधाम से मनाई जाती है . इस पर्व में सूर्योपासना का अत्यंत महत्व है. इसमें सूर्य भगवान को जल का अर्घ्य देकर उपासना की जाती है. यह पर्व चार दिनों तक चलता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ देवी भगवान सूर्य की बहन हैं. इन्हीं को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव कि आराधना की जाती है. छठ माता कि कृपा से व्रतियों घर समृद्धी आती है. छठ माता बच्चों की रक्षा करती हैं. इस व्रत को संतान प्राप्ती की इच्छा से भी किया जाता है.
इस व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है. कहा जाता है की जब भगवान राम और सीता माता ने स्वयंवर से लौटने के बाद पूरे विधिविधान से कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को पूरे परिवार के साथ पूजा की थी. तभी से इस पूजा का महत्व है.महाभारत काल में भी इस पूजा का ज़िक्र मिलता है. जब पांडवों ने अपना सर्वस्व गँवा दिया था तब द्रौपदी ने इस व्रत का वर्षों तक पालन किया था. व्रत के प्रताप ही पांडवों को अपने सर्वस्व की प्राप्ती हुई थी. इसलिए पारिवारिक समृद्धि व खुशहाली के लिए भी इस व्रत को करने का महत्व है.
सूर्य की आराधना से मानसिक शांति प्राप्ती होती है.साथ ही रोज़ जल का अर्घ्य देने से स्वस्थ्य लाभ होता है. अर्घ्य देने को ज्योतिष में भी अच्छा माना गया है. और इसका धार्मिक ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है.इसीलिए सूर्य आराधना से जुड़े होने से भी छठ पर्व का महत्व और बढ़ जाता है.
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