हिन्दू धर्म में सबसे पहले जिस देवता की पूजा की जाती है, वे है श्री गणेश। सभी देवी-देवताओं में पहले पूजे जाने का वरदान उन्हें उनके पिता भगवान शिव ने दिया था। लंबे कान, लंबी सूंड, बड़े आकार का पेट और उनका बड़ा सा दांत उन्हें बेहद मनमोहक बनाता है। लेकिन भगवान गणेश के इन बड़े अंगों का राज क्या है ? जानिए हमें श्री गणेश के ये अंग क्या संदेश देते हैं
क्या कहता है श्री गणेश का पेट
श्री गणेश जी के पेट का आकार काफी बड़ा है। गणेश जी का पेट हमें बेहद महत्वपूर्ण सीख देता है। गणेश जी का पेट हमें कहता है कि हमें किसी भी बुरी बात को औरों को बताने के बजाय पचा लेना चाहिए। शास्त्रों में लिखा है कि गणेश जी बातों को पचा लेते थे।
क्या कहते हैं श्री गणेश के बड़े कान
गणेश जी के बड़े कान भी बहुत कुछ कहते हैं। वे हमें यह सीख देते हैं कि हम चाहे किसी भी प्रकार की बुरी बात को सुने। परन्तु एक कान से सुनकर दूसरे कान से इस तरह की बातें निकाल देनी चाहिए। हमें किसी भी काम को सोच-समझकर ही करना चाहिए ।
क्या कहती है गणेश जी की सूंड
श्री गणेश जी की लंबी सूंड भी काफी कुछ कहती है। श्री गणेश की लंबी सूंड बुद्धि का प्रतीक है। गणेश जी को उनकी हिलती-डुलती सूंड सदा उन्हें इस बात से परिचित करवाती रहती है कि आस-पास क्या हो रहा है या क्या चल रहा है।
क्या कहता है श्री गणेश जी का दांत
श्री गणेश के एक दंत होने को लेकर अलग-लग मान्यताएं है। कहीं यह उल्लेख मिलता है कि परशुराम जी ने क्रोध में आकर श्री गणेश का एक दांत तोड़ दिया था, तो कहीं कहा जाता है कि उनका एक दांत इंद्र देव ने तोड़ा था। जबकि महाभारत लिखने के लिए उन्होंने अपना दांत खुद ही तोड़ लिया था, ऐसा भी कहा जाता है। इस वजह से गणेश जी एक दंत कहलाते हैं। इससे हमें यह सीख मिलती है कि मानव को हर काम में दक्ष होना चाहिए। उसे अपनी भीतर की ताकत का अंदाजा होना चाहिए।
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