नवरात्रि में नवमी तिथि नवरात्रि की आखिरी तिथि होती है। इसीलिए इसकी विशेष अहमियत होती है तथा इसे महानवमी बोलते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में इस तिथि को माता सिद्धिदात्री देवी की आराधना होती है। 14 अक्टूबर 2021 को शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि है।
जानिए महानवमी का महत्व:-
1- नवमी तिथि चन्द्र मास के दोनों पक्षों में आती है। इस तिथि की स्वामिनी देवी माता दुर्गा है।
2- ज्योतिष के मुताबिक, यह तिथि रिक्ता तिथियों में से एक है। रिक्ता अर्थात खाली। इस तिथि में किए गए कार्यों की कार्यसिद्धि खाली होती है। यहीं वजह है कि इस तिथि में सभी शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। मात्र माता की आराधना ही फलदायी होती है।
3- यह तिथि चैत्रमाह में शून्य संज्ञक होती है तथा इसकी दिशा पूर्व है। यह उग्र मतलब आक्रामकता देने वाली तिथि हैं।
4- यह तिथि शनिवार को सिद्धदा तथा बृहस्पतिवार को मृत्युदा मानी गई है। अर्थात शनिवार को किए गए कार्य में कामयाबी प्राप्त होती है तथा बृहस्पतिवार को किए गए कार्य में कामयाबी की कोई गारंटी नहीं।
5- इस तिथि में जगतजननी त्रिदेवजननी देवी दुर्गा की पूजा करने से इंसान इच्छापूर्वक संसार-सागर को पार कर लेता है और प्रत्येक क्षेत्र में सदा विजयी प्राप्त करता है।
6- नवमी तिथि के शुक्ल पक्ष में दुर्गा की पूजा शुभ मगर शिव पूजन अशुभ है। हालांकि कृष्ण नवमी को महादेव पूजन कर सकते हैं।
7- जिंदगी में अगर कोई संकट है अथवा किसी तरह की अड़चनें आने से काम नहीं हो पा रहा है तो लोग दुर्गा नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करके विधिवत समापन करें तथा कन्याओं को भोज कराएं।
8- नवमी के दिन लौकी खाना निषेध है, क्योंकि इस दिन लौकी का सेवन गौ-मांस के समान कहा गया है। इस दिन कड़ी, पूरणपौल, खीर, पूरी, साग, भजिये, हलवा, कद्दू अथवा आलू की सब्जी बनाई जा सकती है।
9- इस तिथि में लौकी के अतिरिक्त दूध, केला, प्याज, लहसुन एवं बैंगन का भी त्याग कर देना चाहिए।
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