आप सभी को बता दें कि हिन्दू धर्म में स्त्रियों के मांग में सिंदूर लगा होना जरुरी माना जाता है और साथ ही यह उनके सुहागिन होने का और सौभाग्यवती होने का साइन होता है. कहा जाता है स्त्री के 16 श्रृंगारों में सिंदूर भी एक प्रमुख श्रृंगार है जो उसे अवश्य करना ही चाहिए. इसी के साथ सिंदूर किसी भी स्त्री के अखण्ड़ सुहागिन होने का प्रतीक माना जाता है और हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार सिंदूर लगाने से स्त्री के पति के आयु में वृद्धि होती है और स्त्री के सौभाग्य की दरवाजें खुलते हैं. आइए जानते हैं इसके और कारण.
1. कहा जाता है हिन्दू धर्म के अनुसार अगर पत्नी के बीच मांग में सिन्दूर लगा हुआ है तो उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं हो सकती और हर संकट में पति को यह सुरक्षित रखता है. इसी के साथ ही पत्नी और पति के बीच के संबंधों को भी यह मजबूत करता है. कहा जाता है दिवाली और नवरात्र के दौरान पती द्वारा पत्नी के मांग में सिन्दूर लगाना काफी शुभ हो जाता है.
2. कहते हैं हिन्दू धर्म में सिन्दूर का उल्लेख रामायण काल से ही मिलता है. बताया गया है कि रामायण की पात्र सीता माता सिन्दूर का प्रयोग किया करती थी और एक बार हनुमान जी ने सीता माता से पूछा था कि आप सिन्दूर क्यों लगाती हैं इस पर सीता माता ने कहा था कि इससे भगवान राम को खुशी मिलती है. कहा जाता है खुशी मिलने के कारण शरीर स्वस्थ रहता है, और इससे आयु में वृद्धि होती है.
3. सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार सिंदूर लगाने से सुहागन स्त्री की सुन्दरता में वृद्धि होती है और स्त्री के दोषों से मुक्ति मिलती है. इसी के साथ सिंदूर लगाने से माता पार्वती सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं.
4. कहा जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार माता लक्ष्मी के सम्मान का प्रतिक सिन्दूर माना जाता है और माता लक्ष्मी पृथ्वी के चार स्थानों पर निवास करती हैं जिसमें से एक स्त्री की सिर है. इस कारण से मांग में सिंदूर लगाया जाता है.
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