मकर संक्रांति आने वाली है। ऐसे में हर कोई तैयारी में लगा हुआ है। यानी पूजा की तैयारी, बच्चे अभी से पतंग उड़ान शुरू कर देते हैं, इस मौके पर गिल्ली डंडा भी खेल जाता है ये तो रही बच्चों की बात। अब बात करें बड़ों की तो बस पूजा की तैयारी में लगे रहते हैं और खास तौर पर तिल के लड्डू बनाने की तैयारी। हर मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू बनाने का रिवाज होता है।
अब ये रिवाज शुरू से चला आ रहा है लेकिन हम ये नही जानते कि इस दिन तिल के ही लड्डू क्यों बनाये जाते हैं। तो चलिए आपको बता देते हैं इसके बारे में। दरअसल, हमारे ऋषि मुनियों ने मकर संक्रांति पर्व पर तिल के प्रयोग को बहुत सोच समझ कर परंपरा का हिस्सा बनाया है। ऐसा कहते हैं संक्रांति का दिन रोज़ के दिन से तिल भर बड़ा होता है।
तिल का महत्व मनुष्य के स्वास्थ्य से भी जुड़ा होता है। इसलिए हर तीज, त्योहार या समारोह में तिल का बहुत महत्व होता है। तिल वर्षा ऋतु की खरीफ की फसल है। तिल भी तीन प्रकार की होती है काला, सफेद और लाल। जिसमे कला तिल पौष्टिक व सर्वोत्तम है। और साथ ही आयुर्वेद के छह रसों में से चार रस तिल में होते हैं। तिल में एक साथ कड़वा, मधुर एवं कसैला रस पाया जाता।