नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र का कल बुधवार को समापन हो गया। संसद की कार्यवाही के अंतिम दिन राज्यसभा में चार बिलों को पारित किया गया, इसमें से OBC से संबंधित बिल महत्वपूर्ण है। राज्यसभा में ओबीसी आरक्षण से संबंधित बिल को लेकर संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई, जिसके बाद सर्वसम्मति के साथ इसे पारित कर दिया गया। इससे पहले बीते दिन मंगलवार को इस विधेयक को लोकसभा में पारित किया गया था।
बुधवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा जाति आधारित जनगणना और आरक्षण पर 50 फीसद की सीमा को हटाने की मांग की गई। उच्च सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आरक्षण की सीमा हटा दी जानी चाहिए जो अब 50 फीसद है। अगर इसे नहीं हटाया गया, तो OBC आरक्षण से संबंधित विधेयक का मकसद विफल हो जाएगा, क्योंकि राज्यों को आरक्षण बढ़ाने की ताकत मिलनी चाहिए। अभिषेक मनु सिंघवी और राजद मनोज कुमार झा ने जहां OBC की संख्या का पता लगाने के लिए देश में जाति जनगणना की मांग की, वहीं विपक्ष को सरकार की तरफ से कड़ी फटकार लगाई गई, भाजपा के सुशील मोदी ने दावा किया कि OBC आरक्षण भाजपा की कोशिशों के चलते अस्तित्व में आया।
समाजवादी पार्टी (सपा) नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि यूपी सरकार यादवों, कुर्मियों और गुर्जरों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की फेहरिस्त से हटाने की योजना बना रही है। बता दें कि लोकसभा ने मंगलवार को संविधान (एक सौ सत्ताईसवां संशोधन) बिल 2021 पारित किया। इस बिल को सदन में मौजूद सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया गया। इसका मकसद उस शक्ति को बहाल करना है जिसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को अपनी ओबीसी सूची बनाने की इजाजत दी। कई क्षेत्रीय दलों और यहां तक कि सत्ताधारी पार्टी के अपने OBC नेताओं द्वारा भी इसकी मांग की गई थी।
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