इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की एक सीमा होती है और इसका ये मतलब कतई नहीं कि दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए. पाक पीएम इमरान ख़ान ने कहा है कि, "इस्लाम को मानने वालों में पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर जो भावनाएं हैं, उसके संबंध में पश्चिमी देशों के लोगों को कोई जानकारी नहीं है."
उन्होंने इसे मुसलमान बहुल देशों के नेताओं की विफलता बताते हुए कहा है कि ये उनकी ज़िम्मेदारी है कि वो पूरे विश्व में इस्लाम के विरोध (इस्लामोफ़ोबिया) के मुद्दे पर चर्चा करें. उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाएंगे. दरअसल, इमरान ख़ान शुक्रवार को इस्लामाबाद में ईद-उल-मिलाद के अवसर पर आयोजित एक कॉन्फ्रेस में भाषण दे रहे थे. फ़्रांस और मुसलमान देशों के बीच जारी तनातनी को लेकर उन्होंने कहा कि, "मैंने इस्लामिक देशों के समूह में सभी से कहा है कि पश्चिम के देशों में इस्लामोफ़ोबिया बढ़ रहा है और इस समस्या के निराकरण के लिए सभी मुसलमान देशों को एक साथ आने और इसके बारे में चर्चा छेड़ने की आवश्यकता है."
इमरान ने कहा कि "इस्लामोफ़ोबिया की वजह से सबसे ज्यादा वो लोग प्रभावित होते हैं जो किसी देश में मुसलमान अल्पसंख्यक आबादी का हिस्सा हैं." इमरान ख़ान ने कहा है कि, "पश्चिमी देश इस्लाम, पैग़ंबर और मुसलमानों के रिश्ते को नहीं समझ सकते. उनके पास वो पुस्तकें नहीं हैं जो हमारे पास हैं. इसलिए वो इसे नहीं समझ सकते हैं."
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