इमरान प्रतापगढ़ी की कलम से

इमरान प्रतापगढ़ी की कलम से
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ज़माने पर भरोसा करने वालों,
भरोसे का ज़माना जा रहा है !
तेरे चेहरे में एैसा क्या है आख़िर,
जिसे बरसों से देखा जा रहा है !!!


राह में ख़तरे भी हैं, लेकिन ठहरता कौन है,
मौत कल आती है, आज आ जाये डरता कौन है !
तेरी लश्कर के मुक़ाबिल मैं अकेला हूँ मैं मगर,
फ़ैसला मैदान में होगा कि मरता कौन है !!!

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