बर्न: स्विस नेशनल बैंक ने स्विस बैंकों में भारतीयों और भारतीय कंपनियों द्वारा जमा किए गए धन में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है, जो पिछले एक साल में 70% घटकर 1.04 बिलियन स्विस फ़्रैंक (लगभग 9,771 करोड़ रुपये) के चार साल के निचले स्तर पर आ गया है। यह डेटा गुरुवार को जारी किया गया है। ये साफ़ दर्शाता है कि, जिन भी भारतीयों का पैसा स्विस बैंक में जमा था, बीते कुछ समय से वे उसे निकाल रहे हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल कहा किया जा रहा है, इसकी जानकारी नहीं है। ख़ासकर लोकसभा चुनावों के बाद इस रिपोर्ट के आने से सवाल ये भी उठता है कि, क्या उस पैसे का इस्तेमाल चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया ?
उल्लेखनीय है कि, लगातार दूसरे साल स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों की जमा राशि में कमी आई है। इसके अतिरिक्त, ग्राहक जमा खातों और भारतीय बैंक शाखाओं के माध्यम से रखे गए फंड में बड़ी गिरावट आई है। बैंकों द्वारा स्विस नेशनल बैंक (SNB) को बताए गए इन आंकड़ों में स्विट्जरलैंड में भारतीयों द्वारा कथित तौर पर रखे गए व्यापक रूप से सट्टा लगाए गए काले धन को शामिल नहीं किया गया है, न ही वे तीसरे देश की संस्थाओं के तहत भारतीयों, NRI या अन्य लोगों द्वारा रखे गए फंड को शामिल करते हैं। 2023 के अंत में स्विस बैंकों की भारतीय ग्राहकों के प्रति ‘कुल देनदारियाँ’ या ‘बकाया राशि’ 103.98 करोड़ स्विस फ़्रैंक (9,771 करोड़ रुपये) थी। इसमें ग्राहक जमा राशि शामिल है, जो 39.4 करोड़ स्विस फ़्रैंक (36.95 अरब रुपये) से घटकर 31 करोड़ स्विस फ़्रैंक (29 अरब रुपये) हो गई, अन्य बैंकों के माध्यम से रखी गई जमा राशि, जो 111 करोड़ स्विस फ़्रैंक (102 अरब रुपये) से घटकर 42.7 करोड़ स्विस फ़्रैंक (40.05 अरब रुपये) हो गई, और ट्रस्टों के माध्यम से रखी गई जमा राशि, जो 2.4 करोड़ स्विस फ़्रैंक (2.26 अरब रुपये) से घटकर 1 करोड़ स्विस फ़्रैंक (93.8 करोड़ रुपये) हो गई। बांड, प्रतिभूतियों और अन्य वित्तीय साधनों में ग्राहकों को देय अन्य राशियों में भी 189.6 करोड़ स्विस फ़्रैंक (178 बिलियन रुपये) से 30.2 करोड़ स्विस फ़्रैंक (22.31 बिलियन रुपये) तक की उल्लेखनीय गिरावट देखी गई।
बता दें कि स्विस बैंकों में भारतीयों की कुल जमा राशि 2006 में लगभग 6.5 बिलियन स्विस फ़्रैंक (609 बिलियन रुपये) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। तब से, इसमें आम तौर पर गिरावट आई है, 2011, 2013, 2017, 2020 और 2021 में कभी-कभार मामूली वृद्धि हुई है। स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में, UK के नागरिक सूची में सबसे ऊपर हैं, उसके बाद अमेरिका और फ्रांस के लोग हैं। शीर्ष 10 में अन्य देशों में वेस्टइंडीज, जर्मनी, हांगकांग, सिंगापुर, लक्जमबर्ग और ग्वेर्नसे शामिल हैं। भारत, जो 2022 में 46वें स्थान पर था, अब 67वें स्थान पर आ गया है, जो भारतीयों द्वारा धन की पर्याप्त निकासी को दर्शाता है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के नागरिकों की संपत्ति में भी कमी आई है।
भारत को कब मिलना शुरू हुआ स्विस बैंक का ब्यौरा ?
मोदी सरकार के कार्यकाल में 2018 से ही स्विट्जरलैंड और भारत के बीच कर संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान हो रहा है। इस ढांचे ने भारतीय कर अधिकारियों को स्विस वित्तीय संस्थानों में खाता रखने वाले भारतीय नागरिकों के बारे में विस्तृत वित्तीय जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाया है, जो सितंबर 2019 से शुरू होकर सालाना जारी रहेगा। नवीनतम आंकड़े इस जारी आदान-प्रदान का हिस्सा हैं। हालाँकि, अब भी स्विस बैंक अकाउंट होल्डर का नाम नहीं बताता है कि, किस भारतीय नागरिक के खाते में कितने पैसे हैं, वो कुल आंकड़ा बता देता है।
स्विट्जरलैंड की बैंकिंग प्रणाली 1713 से चली आ रही है और आज देश में 400 से अधिक बैंक संचालित हैं। इन बैंकों को स्विस फेडरल बैंकिंग एक्ट के गोपनीयता कानून की धारा-47 के तहत खाते खोलने का अधिकार है। प्रसिद्ध "स्विस बैंक" वास्तव में यूबीएस है, जो 1998 में यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड और स्विस बैंक कॉरपोरेशन के विलय से बना था और इसे दुनिया के शीर्ष तीन बैंकों में से एक माना जाता है।
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