दिल्ली : अन्ना हजारे का रामलीला मैदान पर चल रहा अनशन सात दिन बाद खत्म हो गया है. आंदोलन खत्म होने के बाद अन्ना हजारे के मंच से भाषण देने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आये मगर यहाँ उन्हें जनता के बिच जलील होना पड़ा. एक किसान ने उन पर जूता फेंक दिया. अन्ना के अनशन में कई किसान पहुंचे हुए थे. इस बार अन्ना किसानों की समस्याओं और लोकपाल से संबंधित मांगों को लेकर अनशन पर बैठे थे. महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस केंद्र सरकार का संदेश लेकर अन्ना हजारे का अनशन खुलवाने रामलीला मैदान गए थे. उनके साथ केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी थे.
बता दें कि अन्ना हजारे 23 मार्च से अनशन पर थे और आज उनके अनशन का सातवां दिन था. उनके सहयोगी दत्ता अवारी ने बताया कि अनशन के दौराम भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वाले अन्ना का वजन पांच किलोग्राम से ज्यादा घट गया और उनका रक्तचाप भी गिर गया. अन्ना के गांववालों ने रालेगण सिद्धि में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की थी. गांववालों ने केंद्र और राज्य सरकार पर अन्ना हजारे की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था और गांव से सभी सरकारी कर्मचारियों और पुलिसवालों को बाहर निकाल दिया था. यही नहीं, उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर गुरुवार तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे आत्मदाह शुरू करेंगे. मंच पर मौजूद अन्ना के साथियों का दावा है कि सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं. शाम करीब 5 बजे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस रामलीला मैदान पर पहुंचे और उनका अनशन खत्म करवाया. फडणवीस ने अन्ना को जूस पिला कर उनका अनशन खत्म कराया. इस दौरान कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह भी मौजूद थे.
अन्ना हजारे ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर कहा, 'कई दिनों से देख रहा हूं कि कई लोग मेरी आलोचना कर रहे हैं और मुझ पर झूठे आरोप लगाकर मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. मैंने जीवन में बहुत आलोचना सहन की है और मुझे इससे कभी डर नहीं लगता ना ही मैं उससे दुखी होता हूं. मुझे देश हित के सिवा कुछ नहीं चाहिए, मुझे ना किसी से वोट मांगने हैं, ना कुछ और. दुख केवल इस बात का है कि मेरी आलोचना करने वाले सिर्फ झूठ बोलते हैं और उस पर बात नहीं करते जो मुद्दे मैंने आंदोलन में उठाए. फिर भी भगवान उनका भला करे.'
अन्ना की मांगों पर मोदी सरकार की मुहर
क्या आज खत्म होगा अन्ना का आंदोलन ?
आशा -निराशा के बीच झूलता अन्ना आंदोलन