मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबले देखने को मिल रहे हैं, जिसमें कोल्हापुर नॉर्थ सीट का मुकाबला भी काफी चर्चा में है। यहां कांग्रेस को अंतिम क्षणों में बड़ा झटका लगा जब उनकी आधिकारिक उम्मीदवार मधुरिमा राजे मालोजीराजे भोसले ने नामांकन वापस ले लिया।
कांग्रेस ने पहले इस सीट से राजेश लाटकर को उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन फिर उनका टिकट काटकर मधुरिमा भोसले को मैदान में उतारा गया। हालांकि, पार्टी के भीतर खींचतान और लाटकर के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की स्थिति को देखते हुए मधुरिमा ने नाम वापस लेने का फैसला किया। अब कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं रह गया है, और मुकाबला निर्दलीय राजेश लाटकर और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के उम्मीदवार राजेश शीरसागर के बीच रह गया है।
मधुरिमा भोसले, जो कोल्हापुर के सांसद शाहू महाराज की बहू हैं, का नामांकन वापस लेने के पीछे पार्टी की रणनीति मानी जा रही है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने मधुरिमा को समझाया कि अगर लाटकर निर्दलीय लड़ते हैं, तो कांग्रेस की जीत की संभावना खत्म हो जाएगी। अब कांग्रेस ने भले ही अपना आधिकारिक उम्मीदवार हटा लिया हो, लेकिन वे राजेश लाटकर को ही समर्थन देने का विचार कर रही है।
मुंबई की माहिम सीट पर भी एकनाथ शिंदे की शिवसेना के अंदर उथल-पुथल देखने को मिली। यहां पार्टी ने अपने उम्मीदवार सदा सरवणकर से कहा कि वे नाम वापस लें ताकि राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे को समर्थन दिया जा सके। सदा सरवणकर राज ठाकरे से मिलने भी गए, लेकिन उनकी बातचीत नहीं हो सकी।
सरवणकर इस स्थिति से नाराज हैं और उन्होंने चुनाव से हटने का प्रस्ताव स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि वे 40 साल से शिवसेना के कार्यकर्ता रहे हैं और बालासाहेब ठाकरे ने हमेशा कार्यकर्ताओं का सम्मान किया। उनका कहना था कि बालासाहेब के दौर में कभी उनसे अपने परिवार के लिए सीट छोड़ने को नहीं कहा गया होता। इस प्रकार, महाराष्ट्र चुनाव में कई सीटों पर जटिल समीकरण और गठबंधन की राजनीति दिलचस्प मोड़ ले रही है।
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