नई दिल्ली : अपनी सेवा निवृत्ति से एक दिन पूर्व गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने की सिफारिश कर चर्चा में आए राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के पक्ष में राष्ट्रीय पक्षी मोर का उदाहरण दिया, जिसको लेकर लोग उनकी आलोचना कर रहे है. जस्टिस शर्मा के इस फैसले की देश भर में चर्चा हो रही है.
उल्लेखनीय है कि जस्टिस महेश चंद्र शर्मा कल ही सेवानिवृत्त भी हो गए हैं. सेवानिवृत्त होने से पहले हुई सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि हमने मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए घोषित किया, क्योंकि मोर आजीवन ब्रह्मचारी रहता है. इसके जो आंसू आते हैं, मोरनी उसे चुग कर गर्भवती होती है. मोर कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता. मोर पंख को भगवान कृष्ण ने इसलिए लगाया क्योंकि वह ब्रह्मचारी है. साधु संत भी इसलिए मोर पंख का इस्तेमाल करते हैं. मंदिरों में इसलिए मोर पंख लगाया जाता है. ठीक इसी तरह गाय के अंदर भी इतने गुण हैं कि उसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए.
बता दें कि गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कई बार होती रही, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी हाई कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात की अनुशंसा की है. राजस्थान उच्च न्यायालय के जज न्यायमूर्ति महेश चंद्र शर्मा सिविल, आपराधिक और राजस्व मामलों के विशेषज्ञ हैं. लेकिन उनका यह आखिरी फैसला चर्चा और विवाद का विषय बना हुआ है. विवाद इस बात को लेकर है कि उन्होंने मोर का जो उदाहरण दिया है उससे कई लोग सहमत नहीं है.
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