शिवपुरी: मध्य प्रदेश के शिवपुरी में तो प्रभु श्री राम का वनवास 16 वर्षों साल के पश्चात् भी खत्म नहीं हो रहा है. शिवपुरी के अमोला गांव से गुजरने वाली सिंध नदी पर 2008 में अटल सागर बांध बनाया गया था. बांध के लिए गांव विस्थापित किया गया, बाद में नए गांव तो बस गए तथा यहां के ग्रामीणों को अपने मकान भी मिल गए, किन्तु प्रभु श्री राम को उनका 'घर' नहीं मिल पाया. एक रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर तो जितना बना था वह उसी हालत में है, मगर वहां एक परिवार अपना आशियाना बना कर रह रहा है. उस परिवार का कहना है कि उनका घर तूफान में टूट गया, इसलिए उन्हें सिर छुपाने की आवश्यकता पड़ी तथा उन्होंने प्रभु श्री राम की शरण ले ली. भगवान ने उनको तो शरण दे दी मगर खुद वे आज भी एक हाट बाजार की दुकान में बंद अपने परिवार के साथ तकलीफ में दिन काट रहे हैं.
जानिए पूरा मामला:-
यहां सिंध नदी के किनारे अति प्राचीन राम मंदिर उपस्थित था, जिसमें प्रभु श्री राम और सीता माता के साथ संपूर्ण राम दरबार स्थापित था. बाद में अटल सागर बांध बनने के बाद यह क्षेत्र डूब में आ गया तथा मंदिर कई बार पानी में डूबने से खंडहर में परिवर्तित हो गया. हालांकि गांव के लोगों ने प्रतिमा तो निकाल ली, भगवान का नया घर भी बनकर तैयार किया है, बस छत बनकर तैयार नहीं हुई है. यही वजह है कि राम को अपने घर में जाने का इंतजार अभी भी है. इतना ही नहीं प्रभु श्री राम और उनका संपूर्ण परिवार हाट बाजार की दुकान में लिपटा हुआ बड़ी ही दयनीय स्थिति में है.
पुनर्स्थापन की प्रक्रिया में राम मंदिर भी था शामिल
जब 2008 में अटल सागर बांध का निर्माण किया गया था तब पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में राम मंदिर भी शामिल था। पुनर्वास के हिस्से के रूप में अमोला गांव की स्थापना के दौरान, भगवान राम को भी शामिल किया गया था, क्योंकि वह भी विस्थापित हो गए थे। इस लिहाज से उनके लिए जगह आवंटित की जानी चाहिए थी, क्योंकि उन्हें भी दोबारा बसाया गया था. राम को जगह तो मिली, अधूरा मंदिर तो बना, लेकिन पिछले 16 साल से मूर्ति स्थापित नहीं हो सकी। अब, जब भगवान राम अंततः 2024 में अयोध्या में विराजमान होंगे, तो क्या अमोला के राम को अपना नया घर मिलेगा?
ग्रामीण लंबे समय से मांग कर रहे हैं।
क्षेत्र के निवासी पिछले 16 वर्षों से सरकार से भगवान राम के मंदिर का निर्माण पूरा करने और वहां राम दरबार स्थापित करने की मांग कर रहे हैं। अयोध्या में राम मूर्ति की प्रतिष्ठा के साथ ही ये मांगें तेज हो गई हैं. लोगों का कहना है कि कम से कम 22 तारीख के बाद वहां राम दरबार की स्थापना होनी चाहिए.
वही जिला प्रशासन सीधे तौर पर मीडिया के सामने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने को तैयार नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि वे इस मामले की जांच करा रहे हैं. गहन जांच के बाद वे आवश्यक कार्रवाई करेंगे.
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